एसएमटी। अलीगढ़।
साहित्यकार व कवि अशोक अंजुम ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर कहा कि 15 अगस्त का दिन कोई साधारण दिवस नहीं है। ये दिवस है हमारे स्वाभिमान का, देश के प्रति हमारे विशेष सम्मान का और शहीदों के बलिदानों को दिल की गहराइयों से याद करने का। 1857 से 1947 तक का 90 वर्षों का समय हमारे स्वाधीनता संग्राम का समय रहा है। इस बीच असंख्य देशभक्तों ने देश की आज़ादी के लिए अपनी कुर्बानियाँ दीं। हर तरफ कुछ ऐसे ही स्वर सुनाई देते थे,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाजु़ए क़ातिल में है
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, बहादुरशाह ज़फर, मंगल पाण्डे, तात्यां टोपे, गोखले, महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, लाला लाजपत राय, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खाँ, वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस आदि असंख्य आज़ादी के दीवानों के बलिदानों का प्रतिफल ही है। आज हम 15 अगस्त की इस तिथि को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मना पा रहे हैं।
जो भरा नहीं है भावों से
बहती जिसमें रसधार नहीं
वह हृदय नहीं है पत्थर है
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं
अतः आज का दिन अपने-अपने अन्तस में झाँकने का दिन है, यह सोचने का दिन है कि क्या वाकई हमारे हृदय में अपने देश के प्रति स्पंदन होता है? कहीं यह हृदय पत्थर तो नहीं हो चला है? कहीं ऐसा तो नहीं हो गया है कि तमाम सुख-सुविधाओं और तथाकथित स्वार्थ के चलते हमें देश के बारे में सोचने की फुर्सत ही न मिल पाती हो। उस देश के बारे में सोचने की, जिसकी की मिट्टी में हम पल-बढ़ रहे हैं, जिसकी कि वायु हमारी साँसों में दौड़ रही है, जिसका कि अन्न-पानी हमारे शरीर को ऊर्जा दे रहा है।
स्वतंत्रता दिवस: शहीदों के बलिदानों को दिल की गहराई से याद करने का दिन: अशोक अंजुम
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