अलीगढ़ / संयुक्त मोर्चा
पदमश्री काजी अब्दुल सत्तार का रविवार रात उपचार के दौरान दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे और पिछले डेढ़ महीने से अस्पताल में भर्ती थे। वे सीतापुर के कस्बा मछरेहटा के रहने वाले थे ।
एएमयू के उर्दू विभाग से सेवानिवृत्त हुए प्रोफेसर काजी अब्दुल सत्तार के निधन की खबर से साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्होंने शिकस्त की आवाज, मज्जू भैया, गुबार ए शाब, सलाहुद्दीन अयूबी, दारा शिकोह, गालिब, हजरत जान पीतल का घंटा, बादल जैसे उपन्यासों की रचना की है। उन्हें 1974 में पदम श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था। उनका अंतिम संस्कार अलीगढ़ में किया जाएगा।
उधर,साहित्यिक संस्था बज्मे उर्दू के अध्यक्ष व राष्ट्रपति पदक से सम्मानित मस्त हफीज़ रहमानी ने बताया कि काज़ी अब्दुसत्तार उर्दू के कई उपान्यास लिख चुके हैं। एक उपान्यास ‘पीतल का घण्टा’ बड़ा प्रसिद्व रहा है। इनकी ख्याति एशिया के उपान्यासकारों की श्रंखला से जोड़ी जाती है। सीतापुर के कस्बा मछरेहटा के रहने वाले पूर्व प्रोफेसर पद्यमश्री काज़ी अब्दुसत्तार के निधन पर बज्में उर्दू संस्था ने पुराना शहर स्थित कार्यालय पर एक शोकसभा का आयोजन किया। सलीम अख्तर, रिज़वान खान, बदर सीतापुरी, मंज़र यासीन, खुशतर रहमान, आरिफ मोहम्मद आरिफ, यासीन इब्ने उमर, एहतिशाम बेग अच्छे, मुफ्ती सफ्फान आदि की मौजूदगी में दो मिनट का मौन रखकर मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।