उत्तरप्रदेश। संयुक्त मोर्चा टीम। अलीगढ़ के एक अस्पताल में जहां मरीज से इलाज के नाम पर मनचाही वसूली की शिकायत पर सील की कार्यवाही कर दी जाती है। इतना नहीं 24 घंटे के अंदर अस्पताल का लाइसेंस निलंबित भी हो जाता है। वहीं एक दूसरे अस्पताल में जहां पांच मरीजों की मौत होती है। परिजन चीख-चीखकर ऑक्सीजन की कमी व अस्पताल प्रबंधन की कमी का आरोप लगाते हैं। उस पर अब तक कोई कार्यवाही सिर्फ जांच के अलावा कुछ नहीं की जा सकती है।
पहले बात करते हैं रामघाट रोड स्थित मैक्सफ़ोर्ट अस्पताल की। शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती सीमा देवी के परिजनों ने डीएम चंद्रभूषण सिंह से से शिकायत की थी। आरोप लगाया था कि अस्पताल प्रबंधन शासन से तय मानकों से अधिक वसूली कर रहा है। कोरोना नियमों का पालन न करने का भी आरोप था। डीएम ने शनिवार को एसीएम द्वितीय अंजुम बी के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीकाम मौके पर भेजी थी। टीम ने मौके पर जाकर जांच पड़ताल की। मरीजों का रिकार्ड देखा। इसमें सामने आया कि मरीज से प्रतिदिन 50 हजार के हिसाब से वसूली हो रही थी, जबकि अधिकतम गंभीर मरीज से 14 हजार रुपये दिन के हिसाब से फीस ली जा सकती है। इस पर एसीएम ने तत्काल अपने सामने ही अस्पताल की ओपीडी पर सील कर दिया। अब रविवार को अस्पताल प्रबंधन को एक नया नोटिस जारी किया गया। जिसमें अस्पताल से 24 घंटे के अंदर सभी मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। इससे पूरे अस्पताल को सील किया जा सके। वहीं, अस्पताल का लाइसेंस भी फिलहाल के लिए निलंबित कर दिया गया है।
अब आपको याद दिलाते हैं 21 अप्रैल की रात्रि की। जब जीटी रोड स्थित एसजेडी अस्पताल में भर्ती पांच कोरोना मरीजों की मौत हो जाती है। परिजनों ने थाने में तहरीर देते हुए आरोप लगाया कि मौत ऑक्सीजन की कमी व अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से हुई। इस घटना को एक महीना बीतने को है। अब तक जांच जारी है, कार्यवाही कोई नहीं की गई है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि मौतों से ज्यादा गंभीर शिकायत क्या मरीजों से मनचाही वसूली की हो सकती है जो अब तक एसजेडी अस्पताल प्रकरण में प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग चुप है। चर्चा है कि एक भाजपा नेता के चलते कदम नहीं उठाया जा रहा है।
मैक्सफोर्ट अस्पताल के खिलाफ एक्शन पर एसजेडी पर चुप्पी क्यों
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