एसएमटी। (10 अप्रैल)
हम आपको बता रहे हैं ऐसे घटनाओं के बारे में, जिससे पता चलेगा कि आपका एक वोट कितना कीमती है।
अलीगढ़। न बच्चों के एग्जाम की तैयारी और न ही कोई ऑफिस का काम। इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा, क्योंकि हर एक वोट जरूरी होता है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए आप भी अपने वोटिंग पावर का इस्तेमाल करें। ये मौका पांच साल में एक बार मिलता है और आपका एक वोट किसी की हार और जीत का फैसला कर सकता है। आज हम आपको बता रहे हैं ऐसे घटनाओं के बारे में, जिससे पता चलेगा कि आपका एक वोट कितना कीमती है।
1 – मध्य प्रदेश में नीना वर्मा एक वोट से ही जीती थीं
2008 में मध्य प्रदेश के धार सीट से कांग्रेस के बालमुकुंद गौतम पहले बीजेपी की नीना वर्मा से 2 वोटों से जीते घोषित किए गए थे, लेकिन रिकाउंटिंग में नीना वर्मा को 1 वोट से जीता माना गया। लंबे कोर्ट केस के बाद अंततः 2013 में गौतम को जीता हुआ मानकर शपथ दिलाई गई। हरियाणा 2014 सोनीपत जिले की राइ सीट पर कांग्रेस के विधायक जय तीरथ ने सिर्फ 3 वोटों से इनेलो के इंदरजीत को हरा कर सीट बचाई थी।
2 – विस चुनाव में एक-एक वोट से दो जीत
2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में वर्तमान बिहार कांग्रेस के प्रभारी सीपी जोशी नाथद्वारा सीट से एक वोट से हार गए थे। इनको बीजेपी के कल्याण सिंह चौहान ने हराया था। जोशी को 62215 और चौहान को 62216 वोट मिले थे। इस पर जोशी ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई। आरोप था कि मतदाता सूची तैयार किए जाते समय और मतगणना के दौरान अनियमितता हुई थी। बाद में हाईकोर्ट ने जोशी के पक्ष में फैसला सुनाया। चौहान का चुनाव निरस्त करते हुए उनके साथ पांच लोगों पर मामला भी दर्ज करने का आदेश दिया।
3 – 1999 में एक वोट से ही गिर गई थी केंद्र में अटलजी की सरकार
17 अप्रैल 1999 को एआईएडीएमके के समर्थन वापस लेने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को विश्वास प्रस्ताव रखना पड़ा। सुबह से ही संसद लोकसभा कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर पहले बसपा नेता मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी मतदान नहीं करेगी। प्रमोद महाजन समेत सरकार के रणनीतिकारों ने राहत की सांस ली। कार्यवाही शुरू होते ही सबकी नजरें विपक्षी बेंच पर गई जहां ओडिशा के मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग मुस्करा रहे थे। वो ठीक दो महीने पहले ही मुख्यमंत्री बने थे। मगर लोकसभा से इस्तीफा नहीं दिया था। सत्तापक्ष के कुछ सांसदों की ओर से लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी का इस ओर ध्यान दिलाया गया। लेकिन नियमानुसार मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है। तब तक तकनीकी तौर पर सांसद रह सकते हैं। फिर मायावती ने यूटर्न ले लिया। उन्होंने विश्वास मत के विरोध में वोट डालने का फैसला सुनाया। मतदान हुआ। गमांग ने सरकार के खिलाफ वोट दिया। तब नेशनल कांफ्रेंस के सांसद सैफ़ुद्दीन सोज़ ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर सरकार के खिलाफ वोट दिया। वोटों की गिनती हुई। स्पीकर ने एलान किया कि विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 269 और विरोध में 270 वोट पड़े।
4 – 1974 यूएस: इतिहास का सबसे लंबा चुनाव
यह चुनाव न्यू हैम्पशायर स्टेट सीनेटर के लिए हुआ था। 1973 से ही प्रचार शुरू था। वोटिंग हुई तो रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी लुईस वायमैन को 355 वोटों से जीता हुआ घोषित किया गया। डेमोक्रेटिक प्रत्याशी जॉन डरकिन ने रिकाउंटिंग की अपील की। इसमें डरकिन को 10 वोटों से जीत मिली। वायमैन ने भी रिकाउंटिंग के लिए कहा। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद वायमैन को 2 वोटों से विजयी घोषित किया गया। डरकिन ने सीनेट में ही अपील दायर कर दी और मामला उलझ गया। तय नहीं हो पाया कि आखिर चुनाव कौन जीता। 1975 में वाॅशिंगटन पोस्ट अखबार की पहल पर दोनों दोबारा चुनाव के लिए राजी हुए। इस बार डरकिन को 27000 वोटों से जीते।
5 – 3 देशों में कैसे गिनती के वोटों से बनी बिगड़ी सरकार
1959 सिंगापुर के आम चुनाव में रिवर वैली सीट पर पीपुल्स एक्शन पार्टी के प्रत्याशी ने सिर्फ 5 वोटों से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में पीपुल्स एक्शन पार्टी ने 51 में से 43 सीटें जीतीं थी।
2006 इटली के चुनाव में 0.6% के अंतर से रोमानो प्रोडी की पार्टी ने सिल्वियो बर्लुस्कोनी को हराया था। बर्लुस्कोनी ने धांधली के आरोप लगाए पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रोडी को विजेता बनाया।
1997 यूके चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी के सांसद गैरी मलॉन चुनाव में लिबरल डेमोक्रेट प्रत्याशी मार्क ओटेन से 2 वोटों से हारे थे। उपचुनाव हुए पर मलॉन फिर 21566 वोटों से हार गए।
6 – लोकसभा चुनाव : 9 वोट से हार
1998 : बिहार की राजमहल लोकसभा सीट से भाजपा के सोम मरांडी 9 वोटों से जीते थे। उस समय बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था। अब यह सीट झारखंड राज्य में है। 1989 : आंध्र की अनाकापल्ली सीट से कांग्रेस के कोनाथला रामकृष्ण ने 9 वोटों से जीत हासिल की थी।
तो ध्यान रहे कि आप भी मतदान वाले दिन घर से निकलकर मतदान अवश्य करें। क्योंकि हर एक वोट जरूरी होता है।