दिल्ली। एसएमटी। अंधेरी रात में कार की लाइट दिखते ही वो मर्द एकाएक सक्रिय हो जाते हैं। कुछ ही पल में कार में से हाथ से इशारा मिलने पर आगे बढ़ जाते हैं। कार में बैठी महिला के साथ जाने पर उस मर्द को चंद घटों के लिए दो हजार से आठ हजार रूपए तक मिलते हैं। जी हां, यह हकीकत है दिल्ली के कुछ ऐसे इलाकों की जहां औरतों की नहीं मर्दों की बोलियां लगती हैं। दिल्ली में ऐसी कई जगह हैं जहां शाम के बाद ही मर्दों का बाजार सजता है। इन इलाकों को जिगोलो मार्केट कहा जाता है। यहां अमीर घरों की औरतें मर्दों को खरीदने आती हैं। जिगोलो कमाई का 20 प्रतिशत हिस्सा अपनी संस्था को देते हैं। जिससे वह जुड़ा हुआ होता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मर्दों की पहचान के लिए उनके गले में जिगोलो रुमाल और पट्टे बांध दिए जाते हैं। इससे ही उनकी पहचान होती है। कौन सा लड़का कितना महंगा है, ये जिगोलो रुमाल की लंबाई से पता चलता है।
कुछ घंटों के लिए जिगोलो की बुकिंग की कीमत दो से तीन हजार रुपए और पूरी रात के लिए आठ हजार रुपए तक में डील होती है। इस कारोबार को दिल्ली के कई युवा अपना प्रोफेशन बना चुके हैं तो कई अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसा करते हैं। जिगोलो मार्केट में मर्दों की मुंहमांगी कीमत दी जाती है। यह कारोबार रात के 10 बजे के बाद शुरू होता है और सुबह 4 बजे तक चलता रहता है। दिल्ली के सरोजनी नगर, लाजपत नगर, पालिका मार्केट और कमला नगर मार्केट समेत कई इलाकों में रात होते ही मर्दों की बिक्री शुरू हो जाती है।
-12 से 17 साल की उम्र में ये लड़कियां सीख जाती हैं मर्दों की हवस मिटाना
कोलकाता। भले ही देह-व्यापार को लेकर कानून हों लेकिन देश के कई हिस्सों में आज भी लाखों लड़कियां इस घिनौने काम के लिए बेची ख़रीदी जाती हैं। उन्हीं इलाकों में से एक है कोलकाता का सोनागाछी। जहां बच्ची के पैदा होते ही उसकी क़िस्मत का फ़ैसला हो जाता है कि उसे आगे चलकर क्या काम करना है। भारत के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में नाबालिग लड़कियों को जबरन देह व्यापार में धकेल दिया जाता है जहां बच्चियां 120 रुपए में बेच दी जाती हैं जिनकी उम्र 18 साल से भी कम होती है। सोनागाछी जिला कोलकाता का एक स्लम एरिया है और यहां ग़रीबी ज़्यादा है। इस कारण परिवार अपनी कम उम्र की बच्चियों को जिस्मफ़रोशी के काम में लगाने पर मजबूर हो जाते हैं। अगर कोई नाबालिग बच्ची इसका विरोध करती है तो उसके साथ ज़ोर-ज़बर्दस्ती की जाती हैं। यहां कई गैंग हैं जो इस देह-व्यापार के धंधे को चलाते हैं। इस इलाके में बच्चियों को बचपन से ही वो सब देखना पड़ता है, जिसके बारे में सोचने पर हमारी रुह कांप जाए। जिस उम्र में मां अपनी बेटियों को दुनिया के रीति-रिवाज, लाज-शरम सिखाती हैं वहीं ये बच्चियां खुद को बेचने का हुनर सीखती हैं। 12 से 17 साल की उम्र में ये लड़कियां सीख जाती हैं कि मर्दों की हवस कैसे मिटाई जाती है।
जानिए, कहां लगती है मर्दों की बोली, अमीर घरों की महिलाएं पहुंचती हैं खरीदने
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