अलीगढ़। एसएमटी। एएमयू के शताब्दी समारोह के मुख्य अतिथि पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने वर्चुअल संबोधन में कहा था कि एएमयू में एक तरफ उर्दू पढ़ाई जाती है तो दूसरी तरफ हिंदी भी। यहां अरबी पढ़ाई जाती है तो संस्कृत भी। यह सदी पुराना संस्थान है। यहां की लाइब्रेरी में कुरान की पांडुलिपि है तो दूसरी तरफ गीता और रामायण के अनुवाद भी सहेज कर रखे गए हैं। यह विविधता एएमयू जैसे संस्थान की ही नहीं बल्कि पूरे देश की ताकत है। हमें इस शक्ति को नहीं भूलना है और न कमजोर पड़ने देना है। पीएम द्वारा कही गई बात वास्तव में एएमयू की विविधता को दर्शाती है। जिन्ना की तस्वीर को मुद्दा बनाने वालों को यहां की वह विशेषताएं नहीं दिखाई देती हैं जो धर्म, मजहब, जात-पात से ऊपर उठकर हैं। जानिए क्या हैं एएमयू में ऐसा खास संयुक्त मोर्चा की खास रिपोर्ट।
एएमयू यानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी दर्शनीय है। यहां देखने के लिए बहुत कुछ है। जिधर नजर दौड़ाएं, आपको कुछ नई और हैरान करने वाली चीजें मिलेंगी। यहां के मूसा डाकरी म्यूजियम में तमाम दुर्लभ वस्तुओं का दीदार होगा। दिलचस्प यह है कि इनमें एएमयू संस्थापक सर सैयद अहमद खां द्वारा संरक्षित की गई देवी-देवताओं की 23 मूर्तियां भी हैं। दरअसल, वर्ष 1863 में राजा जयकिशन अलीगढ़ के डिप्टी कलेक्टर थे। उन्होंने सर सैयद को ये देव प्रतिमाएं भेंट की थीं। इनमें महावीर जैन के स्तूप का वजन करीब एक टन है। स्तूप के चारों ओर आदिनाथ की 23 मूर्तियां हैं। इसके अलावा, यहां सुनहरे पत्थर का बना पिलर, कंकरीट से बनीं सात देव प्रतिमाएं, शेष-शैय्या पर लेटे भगवान विष्णु, कंकरीट के बने सूर्य भगवान आदि भी हैं। संग्रहालय के मुख्य गेट पर मशहूर चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन द्वारा टाइल्स पर बनाई गई पेंटिंग्स आकर्षण का केंद्र हैं। यहां एटा के अतरंजीखेड़ा और बुलंदशहर आदि जिलों में खोदाई में निकले लोहे, तांबे व मिट्टी के बने बर्तन, पशुओं के शिकार में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार और श्रृंगार के सामान आदि भी रखे हुए हैं। यह धरोहर 3000-3200 साल पुरानी मानी जाती है
-यह भी जानें
-एएमयू की मौलान आजाद लाइब्रेरी में 13.50 लाख पुस्तको के साथ तमाम दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद है।
-1877 इस्वी में लाइब्रेरी की स्थापना।
-यहां रखी इंडेक्स इस्लामिक्स की कीमत 12 लाख रुपये।
-फारसी पांडुलिपि का कैटलॉग।
-साढ़े चार लाख दुर्लभ पुस्तकें पांडुलिपिया व शोधपत्र ऑनलाइन।
-अकबर के दरबारी फैजी की फारसी में अनुवादित गीता।
-400 साल पहले फारसी में अनुवादित महाभारत की पांडुलीपि।
-तमिल भाषा में लिखे भोजपत्र।
-1400 साल पुरानी कुरान।
-मुगल शासकों के कुरान लिखे विशेष कुर्ते जिन्हे रक्षा कबज कहते है।
-सर सैयद की पुस्तकें व पांडुलिपिया।
-जहांगीर के पेंटर मंसूर नक्काश ती अद्भुत पेंटिग मौजूद है।
एएमयू में हैं शेष-शैय्या पर लेटे भगवान विष्णु, कंकरीट से बने सूर्य भगवान
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