शाकाहारी भोजन को बढ़ावा देने और पशुओं के साथ किए जा रहे क्रुरता के विरोध में ऑस्ट्रेलिया में कई संगठन सड़क पर उतर आए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने मीट उद्योग को लेकर मेलबर्न के मुख्य चौराहों और सड़कों पर प्रदर्शन किया, जिसके कारण सड़कों पर ट्रैफिक की समस्या बढ़ गई। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कई बूचड़खानों में जमकर तोड़-फोड़ की। हालांकि प्रशासन ने सख्ती के साथ निपटते हुए 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाया। बता दें कि प्रदर्शनकारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि बूचड़खानों को बंद किया जाए और जानवरों के साथ हो रही हिंसा को रोका जाए। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि इस तरह की सक्रियता किसानों की जीविका के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि यह सक्रियता का सिर्फ एक और रूप है और मुझे ऐस लगता है कि इसे राष्ट्रीय हित के खिलाफ चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय हित (किसान) अपनी जमीन पर सबकुछ करने में सक्षम है। बाद में उन्होंने राज्य के अधिकारियों से कहा कि ऐसे प्रदर्शनकारियों (green-collared criminals) के साथ पूरी ताकत के साथ कानूनी तरीके से निपटें। पीएम ने प्रदर्शन की निंदा करते हुए आगे कहा कि इस तरह से जो भी लोग प्रदर्शन कर रहे हैं वे गैरऑस्ट्रेलियाई हैं और यह बहुत ही शर्मनाक है।
मीट खपत के मामले में दूसरे स्थान पर है ऑस्ट्रेलिया
वर्ल्ड इकॉनोमिक फॉर्म के मुताबिक अमरीका के बाद ऑस्ट्रेलिया दूसरा ऐसा देश है जहां हर व्यक्ति मीट सबसे अधिक खाया जाता है। ऑस्ट्रेलिया में कृषि उत्पादकता का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पशुधन उद्योग का है। लिहाजा प्रदर्शनकारी जानवरों के इलाज और मांस खाने की नैतिकता को प्रचारित करने के उद्देश्य से विक्टोरिया, न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड में विरोध-प्रदर्शन किया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा ‘हम चाहते हैं कि लोग शाकाहारी बने, हम चाहते हैं कि लोग पशुओं के साथ शोषण करना बंद करें।’ उन्होंने कहा कि आज हमसे कहीं अधिक पशुओं के साथ शोषण हो रहा है जिसकी कल्पना हम नहीं कर सकते हैं। यह प्रदर्शन जानवरों की मुक्ति के लिए है।
पुलिस ने बताया कि मेलबर्न में 38 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले 9 अन्य प्रदर्शनकारियों को गॉलबर्न जो कि सिडनी के दक्षिण में 168किमी दूर है, वहां से गिरफ्तार किया गया था। इधर ऑस्ट्रेलिया के मीट उद्योग काउंसिल ने कहा कि बूचड़खानों को बंद कराने को लेकर लगातार प्रदर्शनकारियों की ओर से हमले का डर बढ़ता जा रहा है। वे कहते हैं कि बंद करो और अभी करो। मीट उद्योग काउंसिल के मुख्य कार्यकारी पैट्रिक हचिंसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के 99 प्रतिशत लोग रेड मीट की मांग करते हैं और उसका उपभोग करते हैं। पिछले 50 वर्षों की बात करें तो लगातार रेड मीट की मांग बढ़ी है। 1960 के दशक से आज पांच गुना अधिक इसकी मांग बढ़ गई है। जहां उस दौर में रेड मीट की मांग 70 मिलियन टन था वहीं आज (2017) बढ़कर 330 मिलियन टन से अधिक हो गया है।