संयुक्त मोर्चा टीम। अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनानी मेडिसिन फैकल्टी के इतिहास में पहली बार किसी शिक्षक को पीएचडी अवार्ड होने जा रही है। यह शोध एके तिब्बिया
कॉलेज के अमराज-ए-जिल्द-वा-जोहराविया विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. एम मोहसिन ने किया है।
डॉ. एम मोहसिन ने त्वचा रोग (सोरायसिस) पर पीएचडी किया है। उन्होंने बताया कि यूनानी पद्धति में सोरायसिस का बेहतर एवं सस्ता उपचार है। माडर्न पद्धति में भी
इसका उपचार होता है लेकिन उसमें साइड इफेक्ट का खतरा रहता है। इसके अलावा उपचार से बीमारी कंट्रोल में रहती है, खत्म नहीं होती। 31 दिसंबर 2018 को इससे
संबंधित प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई। अभी कुछ औपचारिकताएं पूर्ण करना शेष है।
डॉ. मोहसिन को पीएचडी के लिए यूनिवर्सिटी सीएसआर एवं इथिकल कमेटी से स्वीकृति मिली थी। विभागाध्यक्ष प्रो. शगुफ्ता अलीम का कहना है कि डॉ. एम मोहसिन एएमयू के पहले यूनानी शिक्षक हैं, जिन्होंने यहां से पीएचडी पूरी की है। मेडिसिन फैकल्टी के डीन प्रो. खालिद जमा खान ने बताया कि यह फैकल्टी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। उल्लेखनीय है कि एएमयू के यूनानी मेडिसन विभाग के छात्रों को अभी पीएचडी करने की सुविधा नहीं है। तीन साल का अनुभव रखने वाले स्थायी शिक्षकों को स्वयं के निर्देशन में पीएचडी की अनुमति है।
भविष्य में छात्र भी कर सकेंगे पीएचडी
एएमयू के यूनानी मेडिसिन फैकल्टी के छात्र-छात्राओं को भविष्य में पीएचडी करने का अवसर प्राप्त हो सकता है। इसके लिए यूनानी मेडिसिन फैकल्टी द्वारा
प्रयास किये जा रहे हैं। फैकल्टी के डीन प्रो. खालिद जमा खान ने बताया कि यूनानी मेडिसन फैकल्टी से प्रस्ताव पास हो गया है। एएमयू एकेडमिक काउंसिल में विचार के
लिए पेश किया जाएगा।