अलीगढ़ / संयुक्त मोर्चा टीम
-केरल के सबरीमाला की तर्ज पर बना हुआ है भगवान अय्यप्पा मंदिर,
-चार हजार वर्गमीटर में है फैला, सबरीमाला की तरह ही इस मंदिर में हैं 18 सीढ़ियां
-जिस पर चढ़कर भगवान अयप्पा के होते हैं दर्शन
-केरल के प्रसिद्ध वास्तु शिल्पी कंडीपीओ द्वारा किया गया था मंदिर का वास्तु
-मंदिर की छत पर विराजमान हैं भगवान विष्णु के 10 अवतार
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साभार-हिन्दुस्तान
केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर बवाल मचा हुआ है। सुप्रीम कोर्टV द्वारा फैसला दिए जाने के बाद भी मंदिर में महिलाओं को प्रवेश नहीं मिल सका। वहीं अलीगढ़ में स्थित भगवान अय्यप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर कोई पाबंदी नहीं है। केरल के सबरीमाला की तर्ज पर ही पंचशील कॉलोनी में मंदिर का निर्माण हुआ है। चार हजार वर्गमीटर में फैले इस मंदिर में सबरीमाला की तरह ही 18 सीढ़ियां हैं। जिस पर चढ़कर भक्त भगवान अय्यप्पा के दर्शन करने जाते हैं। इसके अलावा कई और भी समानताएं हैं।
श्री अय्यप्पा मंदिर एजुकेशनल सोसाइटी द्वारा संचालित किए जाने वाले मंदिर की आधार शिला वर्ष 2002 में तत्कालीन डीएम सुधीर महादेव बोबडे द्वारा रखी गई थी। करीब चार हजार वर्ग मीटर में फैले मंदिर की वास्तुकला सबरीमाला स्थित मंदिर की ही तरह है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केरल के प्रसिद्ध वास्तु शिल्पी कांडीपिओ द्वारा ही मंदिर का वास्तु तैयार किया गया था। जिसके आधार पर केरल से ही आई 11 वास्तु शिल्पियों की देखरेख में मंदिर का निर्माण वर्ष 2014 में पूरा हो पाया था। मंदिर में स्थापित मूर्ति कृष्णशिला पर बनी हुई हैं। जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह हजारों वर्षों तक खराब नहीं हो सकती हैं।
-मकर संक्रांति पर होती सबसे विशेष पूजा, हर माह होती हैं पांच खास पूजाएं
-मलयालम कैंलेंडर पद्धति से होता है संचालन, तब ही खुलता है मंदिर
-केरल के सबरीमाला मंदिर से ही आते है पुजारी पूजा करने, भक्तों को मिलते हैं दर्शन
पंचशील कॉलोनी स्थित भगवान अय्यप्पा मंदिर आम मंदिरों से अलग है। सबसे महत्वपूर्ण सालभर में मकर संक्रांति पर यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। इसके अलावा हर माह मंदिर खुलने पर विष्णु पुजा, अष्टोतर गणेश पूजा, भगवती सेवा, नीलांजन अय्यप्पा पूजा होती है। चंद्रमा व अन्य ग्रहों की चाल पर मंदिर के खुलने का समय तय होता है। जिसके बाद केरल के सबरीमाला मंदिर से ही पुजारी यहं पूजा-अर्चना करने आते हैं।
-प्रसाद भी होता है खास, पुजारी खुद करते हैं तैयार
आमतौर पर मंदिर में भगवान को लगाए जाने वाला भोग बाहर से बनकर आता है,लेकिन सबरीमाला मंदिर की तरह से अलीगढ़ में स्थित भगवान अय्यप्पा मंदिर के पुजारी स्वयं भोग को तैयार करते हैं। जो गुड़, खील, हरा नारियल और घी मिलाकर तैयार किया जाता है।
अलीगढ़ 50 से अधिक हैं मलयाली परिवार, प्रत्येक माह मंदिर खुलने पर होते हैं एकत्रित
-इनमें अधिकतर लोग शिक्षा, स्वास्थ्य और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी से हैं जुड़े
अलीगढ़ में 50 से अधिक मलयाली परिवार हैं। जो मूलरूप से केरल के रहने वाले हैं। इनमें अधिकतर लोग शिक्षा, स्वास्थ्य और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी-पेशे से जुडे हुए हैं। प्रत्येक माह अय्यप्पा मंदिर खुलने पर यह सभी परिवार पूजा के लिए एकत्रित होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर इस समाज के लोगों का कहना, धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला है निर्णय
-सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश है वर्जित ये कहना गलत, सिर्फ मासिक धर्म से होने वाली महिलाएं नहीं जा सकती
-10 साल तक और 50 साल से ऊपर की महिलाओं के जाने पर नहीं है कोई रोक
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते दिनों सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिए गए फैसले से मलयाली समाज के लोग काफी आहत हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले है।
हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए श्री अय्यप्पा मंदिर एजुकेशनल सोसाइटी के सचिव केसीडी नायर ने बताया कि सबरीमाला मंदिर में भगवान अय्यप्पा की मूर्ति ब्रहम्चार्य रूप धारण करे हुए हैं। वर्षों से यहां परंपरा चली आ रही है। जिसको सभी भक्त निभाते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुना देना धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला है। ऐसी नहीं है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाएं नहीं जा सकती हैं। 10 वर्ष तक व 50 वर्ष से ऊपर की महिलाओं के प्रवेश पर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं है। 10 से 50 वर्ष की आयु के बीच में महिलाओं को मासिक धर्म होता है। इस वजह से उनका प्रवेश वर्जित रहता है।
-मंदिर के पुजारी बोले-केरल में मुख्य मंदिर, इसलिए वहीं नियमों का पालन
अलीगढ़ स्थित अय्यप्पा मंदिर की स्थापना के समय सबरीमाला से आए पुजारी तुलसी नायर ने बताया कि केरल में भगवान अय्यप्पा का मुख्य मंदिर है। इस वजह से ही वहां सभी नियमों का पालन होता है। हालांकि मासिक धर्म के दौरान तो किसी भी मंदिर में महिलाएं स्वयं ही नहीं जाती हैं। वहीं 41 दिन के सात्विक व पवित्र जीवनशैली के व्रत का पालन करने का नियम भी यहां लागू नहीं होता है।
वर्जन
अलीगढ़ स्थित अय्यप्पा मंदिर में लगने वाले भोग को केरल से आने वाले पुजारी द्वारा ही तैयार किया जाता है। यह भोग भी सबरीमाला मंदिर में तैयार होने वाले गुड़, खील, हरे नारियल और घी से तैयार होता है। प्रत्येक माह मंदिर के पट खुलने पर भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
-संतोष दीक्षित, अध्यक्ष, श्री अय्यप्पा मंदिर एजुकेशनल सोसाइटी
अलीगढ़ स्थित अय्यप्पा मंदिर की वास्तुकला केरल के सबरीमाला मंदिर की तरह है। यहां मंदिर की छत पर भगवान विष्णु के 10 अवतार विराजमान है। सालभर में मकर संक्रांति पर विशेष पूजा का आयोजन होता है। यह महिलाएं भी विधि-विधान के साथ भगवान अय्यप्पा की पूजा-अर्चना करती हैं।
-केसीडी नायर, सचिव, श्री अय्यप्पा मंदिर एजुकेशन सोसाइटी
भगवान अय्यप्पा मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। यह कहना गलत है। मंदिर में 10 वर्ष तक व 50 वर्ष तक से ऊपर की महिलाएं जा सकती हैं। मासिक धर्म होने पर महिलाएं पूजा नहीं कर सकती है। यही परंपरा सबरीमाला मंदिर में चली आ रही है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला है।
-तुलसी नायर, पुजारी, केरल
मासिक धर्म के दौरान तो कोई भी स्त्री मंदिर नहीं जाती है। धार्मिक भावनाओं पर कोई भी फैसला थोंपा नहीं जाना चाहिए।
-लतिका नायर, महिला भक्त
-मंदिर से जुड़ी खास बातें
भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का त्योहार सबसे खास माना जाता है, इसीलिए इस दिन यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
-दक्षिण पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान अयप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (भगवान विष्णु का रूप) का पुत्र माना जाता है। जिनका नाम हरिहरपुत्र भी है।
-इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पवित्र सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। जिनमें से पहली पांच सीढ़ियां मनुष्य की 5 इंद्रियों, फिर 8 सीढ़ियां मानवीय भावनाओं, अगली 3 सीढ़ियां मानवीय गुणों और आखिर की 2 सीढ़ियां ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक मानी जाती हैं।