अलीगढ़ / संपादक
बीते दिनों अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में गाँधी जयंती के अवसर पर एक प्रदर्शनी आयोजित की गई। महात्मा गाँधी की जीवनी पर आयोजित इस प्रदर्शनी में कई प्रकार की किताबें,लेटर व फ़ोटो दर्शाए गए। इसी बीच आज़ादी से पहले की खिंची हुई फ़ोटो को लेकर कुछ तथाकथित लोगों ने आपत्ति जताई है। ये फोटो थी महात्मा गांधी की व पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की। ये सभी फ़ोटो आजादी से पहले की थी। जिसके बाद हुए विरोधाभासी मामले को देखते हुए एएमयू प्रशासन ने उक्त फ़ोटो को वहां से हटा दिया है। साथ ही एएमयू जनसम्पर्क विभाग के मेंबर इंचार्ज प्रो०शाफ़े किदवई ने बताया कि मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है। जिसका 3 दिन के भीतर लाइब्रेरियन अमजद अली को जवाब देना है।
अलीगढ़ मुस्लिन यूनिवर्सिटी को राजनीति के अखाड़े में कोई पहली बार नहीं घसीटा गया है। 2018 मई महीने में भी एएमयू के स्टूडेंट यूनियन हॉल में जिन्ना की फ़ोटो लगी होने पर बड़ा हंगामा हो चुका है। हालांकि एएमयू छात्र संघ पदाधिकारियों ने उस समय भी साफ़ कर दिया था कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय फ़ोटो हटाने का आदेश कर दे। तत्काल जिन्ना की फ़ोटो हम हटा देंगे। लेकिन कर्नाटक चुनाव सम्पन्न होने के बाद ये फ़ोटो हटाने की मुख्य राजनीतिक पार्टी को याद नहीं रही। इस बार गाँधी की फ़ोटो जिन्ना के साथ देखने पर हुई कॉन्ट्रोवर्सी को एएमयू छात्र संघ के पूर्व सचिव नबील उस्मानी दूसरे नज़रिए से देखते हैं। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ़ लोगों का देखने का नज़रिया है। हम फ़ोटो में गाँधी को देखते हैं और कुछ लोगों को उसमें सिर्फ़ जिन्ना नज़र आते हैं। हंगामा करके कुछ हासिल नहीं होने वाला जो इतिहास बन गया उसे कोई नहीं मिटा सकता है।