एसएमटी। लॉकडाउन और कोरोना से प्रभावित हुए उद्योग-धंधों, व्यापार के लिए यह दीपावली महासंयोग लेकर आई है। 499 वर्षों के बाद यह महासंयोग बन रहा है। ज्योतिष विशेषज्ञों के मुताबिक वर्ष 1521 के बाद अब ग्रहों की युति दुर्लभ योग बना रही है।ज्योतिष विशेषज्ञों के मुताबिक कार्तिक कृष्ण पक्ष शनिवार 14 नवम्बर को स्वाति नक्षत्र में सिद्धि योगा में दीपावली लक्ष्मी पूजा सर्वार्थसिद्धि योग में होगी। यह महासंयोग 17 वर्षों बाद आया है। 2003 के बाद 2020 में यह योग बन रहा है। दूसरा महासंयोग ग्रहों की युति से बन रहा है। इस दिन गुरु स्वराशि धनु में शनि स्वराशि मकर में, शुक्र मित्र राशि कन्या में रहेगे। पूर्व में यह संयोग दीपावली पूजा पर 9 नवम्बर 1521 में बना था। ज्योतिष शास्त्र में गुरु और शनि को आर्थिक स्थिति मजबूत करने वाले कारक ग्रह माने गए हैं। ऐसे में दीपावाली पर यह दो ग्रह अपनी स्वराशि में होने से धन संबंधी कार्यों में बड़ी सफलता का योग बनाएंगे। 14 नवंबर दीपावाली के दिन रात 8:10 बजे तक स्वाति नक्षत्र रहेगा। इसके बाद पूरी रात विशाखा नक्षत्र रहेगा। पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। शनिवार को प्रदोष काल में स्वाति से बना सिद्धि योग कार्य सफलता के लिए अच्छा माना गया है। स्वाति नक्षत्र चर, चल-संज्ञक नक्षत्र होने के कारण वाहन लेने देने, उद्योग कर्म, दुकानदारी, चित्रकारी, शिक्षक, स्कूल संचालक, श्रृंगार प्रसाधन एवं अन्य कर्म के लिए अच्छा माना जाता है।
-क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य
वर्ष 1521 में मनाई गई दीपावली की तरह ही इस बार 499 वर्ष बाद महासंयोग बन रहा है। गुरू, शुक्र व शनि ग्रहों की युति भी सर्वार्थसिद्धि योग बना रही है। यह संयोग देश की आर्थिक उन्नति बढ़ाने में सहायक साबित होने वाला है।
-आचार्य ब्रजेश शास्त्री, ज्योतिषाचार्य
499 वर्षो बाद इस दीपावली महासंयोग, धन-धान्य की होगी वर्षा
77