Home अलीगढ़ यमुना एक्सप्रेस वे फर्जीवाड़ा: पूर्व जिपं अध्यक्ष सुधीर और पूर्व चकबंदी अधिकारी पर केस दर्ज

यमुना एक्सप्रेस वे फर्जीवाड़ा: पूर्व जिपं अध्यक्ष सुधीर और पूर्व चकबंदी अधिकारी पर केस दर्ज

by vdarpan
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अलीगढ़ / संयुक्त मोर्चा टीम
यमुना एक्सप्रेस वे स्थापना के समय यमुना पट्टी पर हुए जमीनों के फर्जीवाड़े की परतें अब खुल रही हैं। ऐसे ही एक डेढ़ करोड़ के फर्जीवाड़े का खुलासा टप्पल में दर्ज कराए गए मुकदमे में हुआ है, जिसमें तत्कालीन चकबंदी अधिकारी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सहित चौदह लोग नामजद किए हैं।
मुकदमे में सीधे-सीधे आरोप है कि इन लोगों ने गैंग बनाकर एक ऐसी जमीन का बैनामा कर दिया। जो मौके पर है ही नहीं। इसके एवज में 1.43 करोड़ रुपया वसूला गया है। अब दिल्ली की टावर कंपनी के एमडी द्वारा फर्जीवाड़े के 9 साल बाद दर्ज कराए गए मुकदमे में पुलिस आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य संकलन के काम में जुटी है। इसके बाद तय किया जाएगा कि क्या कार्रवाई होगी।

यह मुकदमा दिल्ली के जीटीबी एंक्लैब एमआईजी फ्लैट पॉकेट 9-ए निवासी जितेंद्र कुमार ने दर्ज कराया है। मुकदमे के अनुसार वाकया वर्ष 2009 का उस समय का है, जब नोएडा से आगरा के बीच यमुना एक्सप्रेस वे विकसित किया जा रहा था। टावर कंपनी में बतौर एमडी काम करते उसकी मुलाकात टप्पल के मुकेश नाम के व्यक्ति से हुई। उससे यहां जमीन खरीदने पर चर्चा हुई तो उसने सुधीर चौधरी निवासी ताहरपुर के भट्ठे पर उसकी मुलाकात उस समय खुद को चकबंदी अधिकारी बताने वाले विरेंद्र प्रकाश सिद्धार्थ से कराई।

यहां विरेंद्र प्रकाश ने किसानों से अपने परिचय का हवाला देकर जमीन दिलाना तय किया। इसके बाद 12 जून 2009 को विरेंद्र ने उसे अपनी ससुराल दिल्ली में बुलाया, जहां पत्नी, साले व कुछ कथित किसानों की मौजूदगी में 40 लाख रुपये एडवांस लेकर 1.767 हेक्टेयर (47 बीघा) जमीन का सौदा किया। कुल 1.41 करोड़ में सौदा तय हुआ और बैनामा की तारीख 22 जून 2009 तय हुई। शेष रकम भी उसी दिन देना तय हुआ। नियत समय पर जितेंद्र अपनी पत्नी को लेकर फिर सुधीर सिंह के भट्ठे पर पहुंचा।
वहां से सभी लोग खैर तहसील आए और वहां बैनामा हुआ। इसके बाद रकम का भुगतान भी किया गया। लिखा पढ़ी आदि में कुल 1.50 करोड़ रुपये खर्च हुए। इस मौके पर मध्यस्थ, गवाह आदि के रूप में नामजद विरेंद्र प्रकाश निवासी सहावर कासगंज के अलावा उसकी पत्नी शशीप्रभा, साला पवन, सास ओमवती, चमन निवासी टप्प्ल, निराले निवासी अलीगढ़, रौनक अली निवासी टप्पल, दलवीर सिंह निवासी नूरपुर टप्पल, सुधीर सिंह निवासी ताहरपुर, मुकेश निवासी प्रेमपुर सहित कथित विक्रेता किसान अवधेश, सुघड़ सिंह व रफीक निवासीगण जैतपुर दिल्ली और हल्का लेखपाल लाल सिंह मौजूद थे। लेखपाल ने बैनामे में दर्ज किए गए विभिन्न गाटा संख्याओं में जमीन के होने की पुष्टि की।

बैनामा जितेंद्र की पत्नी के नाम हुआ। इसके बाद कब्जा दिलाने के नाम पर आज तक यह कहकर टहलाते रहे कि जमीन का दाखिल खारिज नहीं हुआ है। अब ज्यादा दबाव बनाने पर धमकाने लगे। इस पर एसएसपी से मामले में शिकायत के बाद यह मुकदमा दर्ज किया गया है। बता दें कि जिस समय का यह घटनाक्रम दर्शाया गया है, सुधीर चौधरी उसके बाद 2010 से 2015 के कार्यकाल में जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं।

”दिल्ली के व्यक्ति द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में उस समय के चकबंदी अधिकारी, लेखपाल व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुधीर आदि सहित कुल 14 लोग नामजद किए गए हैं। मामले में तथ्यों के आधार पर जांच की जा रही है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।”
– संजय पांडेय इंस्पेक्टर टप्पल

”वर्ष 1996-97 में टप्पल में एक ईंट भट्ठा लगाने के लिए मैंने जमीन खरीदी थी, उसके बाद से 21 साल हो चुके हैं। मैंने न कोई जमीन खरीदी है और न बेची है। न किसी बैनामे में गवाह हूं। इसके अलावा किसी मुकदमे की मुझे जानकारी भी नहीं है। अब किस साजिश के तहत मेरा नाम घसीटा जा रहा है। यह मैं नहीं कह सकता। यह तो साजिश रचने वाले ही बता पाएंगे।”

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