Home अलीगढ़ आखिरी नमस्ते कर चांद-तारों के बीच पहुंची वंशिका

आखिरी नमस्ते कर चांद-तारों के बीच पहुंची वंशिका

by vdarpan
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अलीगढ़ / संयुक्त मोर्चा टीम
मासूम बच्ची को स्कूल ले जा रही मां की दुनिया पल भर में वीरान हो गई। जिस बच्ची को सुबह अपने हाथों से खुशी-खुशी स्कूल ले जाने के लिए तैयार किया था। क्या पता था कि यह यात्रा उसके जीवन की अंतिम यात्रा साबित होगी। हादसे के बाद से बच्ची की मां रीना उपाध्याय और भाई माधव उपाध्याय बदहवाश है।
मां के मुंह से सिर्फ वंशिका का नाम और आंखों से आंसू निकल रहे हैं। मां की आंखों के सामने हादसे का वह भयावह मंजर बार-बार सामने आ रहा है। कई बार मां की चीखें निकल पड़ी। इधर मासूम माधव भी अपनी मासूम जुवा से दीदी-दीदी पुखरता रहा। मगर, उस मासूम को क्या मालूम की कुदरत के कहर के आगे उसकी प्यार भरी आवाज से अब उसकी दीदी पुकारने पर कभी दौड़कर उसके पास वापस नहीं आएगी। अब उसका हाथ पकड़कर वंशिका कभी होमवर्क नहीं करा पाएगी।

इधर, वंशिका के पिता सूर्यप्रकाश और चाचा बच्ची के चुलबुली हरकतों को सोच-सोचकर बार-बार रो उठते। पिता और चाचा बच्ची के शव से लिपटकर रो उठे। तरसती आंखों एवं खामोश जुवा में एक बार फिर से वही चुलबुले पन की हरकतों को करने की वंशिका से गुहार लगाते रहे।

इधर, उसके दादा-दादी भी बच्ची के शव को देख फफक उड़े। सूर्य प्रकाश के परिवार वालों ने बताया कि मासूम वंशिका हर किसी को बहुत प्यारी थी। वह घर में आने वाले हर मेहमान से इतने आदर से पेश आती कि मानों वही घर की सबसे बड़ी हो। दादी से कहानी सुनने के साथ ही उनके हर काम में उसे हाथ बटाने का शौक था। मगर, अफसोस की जिन हाथों ने बेटी को सुबह स्कूल जाने के लिए तैयार किया। थोड़े समय बाद ही उन्हीं हाथों उसक ी अर्थी भी सजानी पड़ी। परिवार वालों ने बताया कि वह स्कूल जाने से पहले घर के सभी सदस्यों को नमस्ते करके जाती थी।

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