अलीगढ़। एसएमटी
डॉक्टर को भगवान का ही रूप कहा जाता है। वास्तव में यह पंक्ति अतरौली के गांव वलीपुर के रिंकू पंडित व उनके परिवार के लिए सच साबित हुई। घर में किलकारी गूंजी तो खुशी की जगह आंखों में आंसू आ गए। समय से पहले हुई डिलीवरी के बाद मां व नवजात बेटी की जान पर बन आई, लेकिन डा.विभव वार्ष्णेय व उनकी टीम ने 40 दिन तक इलाज करने के बाद दोनों को बचा लिया। आज दोनों स्वस्थ हैं।
अतरौली के गांव वलीपुरा निवासी रिंकू पंडित की पत्नी मधु छह माह की गर्भवती थी। इसी बीच उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई। स्वर्ण जयंती नगर स्थित डॉक्टर अमृता मेहरोत्रा को दिखाया गया तो बताया कि महिला की जान बचाने के लिए तत्काल डिलीवरी जरुरी है। इसमें नवजात की जान तक को खतरा हो सकता है। लेकिन परिजनों की सहमति के बाद रिस्क लेकर महिला की डिलीवरी की गई। ऑपरेशन से डिलीवरी होने के बाद चिकित्सकोंे ने देखा कि महिला ने बच्ची को जन्म दिया। लेकिन बच्ची प्री मेच्योर थी। उसकी सांसें चल रही थी। ऐसे में चिकित्सक और परिजन सभी के चेहरे खुशी से खिल उठे।
बच्ची को रामघाट रोड स्थित किड्स केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां नवजात करीब एक माह तक जिंदगी और मौत के बीच जूझती रही, लेकिन डॉक्टर विभव वार्ष्णेय व उनकी टीम ने हार नहीं मानी। बच्ची के फेफड़े भी वेंटीलेटर पर रहते हुए ही बनने शुरू हुए। बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ है। डॉ. विभव ने बताया कि शुरुआत में बच्ची को बचाना बेहद कठिन था। लेकिन बच्ची का महीने भर तक इलाज चला ओर उसकी जान बच गई। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।