दिल्ली। भारत ने बीआरआई ( BRI )में शामिल होने के चीनी न्योते को ठुकरा दिया है। चीन ने बेल्ट एंड रोड फोरम (बीआरआई) की इस महीने होने वाली दूसरी बैठक में शामिल होने के लिए भारत को निमंत्रण भेजा था। भारत ने इससे पहले 2017 में भी पहली बैठक में जाने से इनकार कर दिया था। भारत का साफ कहना है कि चीन की यह योजना उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करती है। पाक के साथ मिलकर चीन ने इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) बनाया है जो विवादित गिलगित-बलिस्तान क्षेत्र से होकर गुजरती है।
चीन को उम्मीद थी कि भारत बीआरआई को लेकर अपने फैसले पर दोबारा सोचेगा। बीते साल दोनों देशों के संबंधों में आए बदलाव के बाद उसे उम्मीद थी कि भारत इस बार बैठक में जरूर शामिल होगा। अप्रैल 2018 को वुहान में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बैठक की थी। जिससे लग रहा था कि भारत बैठक में अपना प्रतिनिधि भेजेगा। बीते माह इसमें शामिल होने के लिए चीन के विदेश मंत्रालय ने निमंत्रण भेजा था, लेकिन भारत ने सीपीईसी को लेकर जारी अपनी चिंता को फिर दोहराया। माना जा रहा है कि बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास से पर्यवेक्षक के तौर पर भी कोई इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेगा।
सुरक्षा परिषद् में जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने को लेकर चीन के मुकरने के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई है। जैश वही संगठन है जिसने 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। जैश के आतंकी आदिल अहमद डार ने सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाया था। जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। यह चौथी बार था जब चीन ने अजहर पर लगने वाले बैन के रास्ते को रोका था।
भारत सरकार ने बीआरआई में शामिल न होकर एक बार फिर से इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि वह भारत की एकता और संप्रुभता को प्रभावित करने वाले किसी कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनेगा। चीन की सीपीईसी योजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है जिसका भारत विरोध करता रहा है। इसके अलावा चीन की कर्ज देने की नीति का भारत सहित बहुत से विश्लेषक विरोध कर रहे हैं।
भारत ने फिर ठुकराया चीन का न्योता, बीआरआई की बैठक में नहीं होगा शामिल |
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