संयुक्त मोर्चा टीम। अलीगढ़
करीब साढ़े पांच साल पहले केदारनाथ धाम में आई भयानक आपदा के दौरान लापता हुई मानसिक दिव्यांग लड़की सोमवार को अपने दादा-दादी के पास अलीगढ़ लौट आई है। 2013 में अपनी छह बहनों व माता पिता के साथ केदारनाथ गई थी। उस समय आई आपदा में उसके पिता का मौत हो गई थी जबकि वह बिछुड़ गई थी। वहां से वह जम्मू के बालिका आश्रयस्थल पहुंच गई थी।बाद में जब इसने अलीगढ़ के बारे में संकेतों से बताना शुरू किया तो खोजबीन शुरू हुई। उस समय इस लड़की की उम्र 12 साल की थी। रोजी-रोटी के लिए उसका परिवार अलीगढ़ से गाजियाबाद में बस गया था। ये सब वहीं से केदारनाथ यात्रा पर गए थे। इस बच्ची के दादा हरिश्चंद्र और दादी शकुंतला देवी बन्ना देवी थाने के पीछे की हबूड़ा बस्ती में रहते हैं। इनके दो लड़के फुटवियर मरम्मत का काम करते हैं। बड़ा बेटा राजेश था जिसकी पत्नी का नाम सीमा है। छोटा मोहन है जिसकी पत्नी फूलवती है। दोनों भाई पूर्णागिरि मंदिर आईटीआई रोड के पास ही काम करते थे।
वर्ष 2012 में राजेश परिवार सहित अलीगढ़ से गाजियाबाद जाकर रहने लगा। राजेश के कुल सात बेटियां हैं। जिसमें बड़ी बृजेश, उससे छोटी शिवानी, तीसरी चंचल, चौथी वंदना, पांचवीं खुशी, छठवीं निशा सहित एक अन्य बहन है। चंचल ही मानसिक दिव्यांग है जो केदारनाथ आपदा में गुम हो गई। इसी हादसे में राजेश की मौत हो गई थी। ये सभी लोग गाजियाबाद से ही केदारनाथ गए थे। चाइल्ड लाइन अलीगढ़ के निदेशक ज्ञानेंद्र मिश्रा ने बताया कि आपदा के बाद लापता लोगों में मिली चंचल को उत्तराखंड पुलिस ने बाल कल्याण समिति जम्मू की मदद से उसे जम्मू के बालिका आश्रय स्थल में पहुंचाया था। 12 वर्ष की चंचल का जम्मू आश्रय स्थल में नया नाम तुलसी रखा गया। अब उसकी उम्र साढ़े सत्रह साल हो गई है। कुछ समय बाद चंचल अलीगढ़ को लेकर इशारे में कुछ बताने लगी। इस पर जम्मू बाल कल्याण समिति ने स्थानीय शहर विधायक संजीव राजा से संपर्क कर इसकी जानकारी दी थी।
जिस पर शहर विधायक ने चाइल्ड लाइन को पूरा केस बताया। चाइल्ड लाइन पहले भी एक बार वर्ष 2012 में इस बच्ची को गुम हो जाने पर खोज चुकी थी, इसलिए पहचान करने में आसानी हुई और प्रयास शुरू हुआ। नतीजा सोमवार को सामने आया और बच्ची के दादा दादी का पता चला। जम्मू कश्मीर पुलिस का एक सब इंस्पेक्टर और दो महिला कांस्टेबिल चंचल ऊर्फ तुलसी को लेकर सोमवार को अलीगढ़ पहुंचे। यहां बाल कल्याण समिति के माध्यम से उसको दादा दादी को सौंपा गया। सुपुर्दगी में लेने के लिए उसकी दादी और चाची पहुंचे। चंचल की मां को गाजियाबाद में खबर देने का प्रयास रात में जारी था।
… मम्मी नहीं आई
बदहवासी में चंचल अब भी एक ही बात रटती रहती है.. मम्मी नहीं आई, पापा भी नहीं आए..। उसके दादा दादी का कहना है कि अगर मां सीमा साथ ले जाएगी तो चंचल को उसके सुपुर्द कर देंगे।