अलीगढ़।संयुक्त मोर्चा टीम
साल 2017 में जिस युवक के विवाह का पंजीकरण कर प्रमाणपत्र जारी किया गया, उसकी वर्ष 2016 में ही मौत हो चुकी थी। आरटीआई के जरिए इसका खुलासा होने पर महानिरीक्षक निबंधन मुख्यालय के होश उड़ गए। जांच हुई तो पता चला कि ‘आधार’ से जुड़ी विवाह पंजीकरण प्रक्रिया में इस तरह के फर्जीवाड़े की पूरी गुंजाइश मौजूद है। इस कारण के बाद अब नियमावली में बदलाव पर विचार शुरू हो गया है।
आरटीआई में महिला ने उठाए सवाल:
महानिरीक्षक निबंधन मुख्यालय से आरटीआई से मांगी गई सूचना में एक महिला ने पूछा है कि उसके बेटे का साल 2016 में ही निधन हो गया था तो साल 2017 में उसके विवाह का पंजीकरण प्रमाणपत्र कैसे जारी हो गया? इस स्वत: जेनरेटेड विवाह प्रमाणपत्र में महिला के बेटे की शादी 2013 में होने की बात कही गई है। इस महिला का आरोप है कि सम्पत्ति के लालच में उसके मृत बेटे के विवाह का पंजीकरण कराया गया है।
साल 2017 में ही बनी थी नियमावली
इस प्रकरण से विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बना देने के दावे के साथ बनाई गई बहुप्रचारित नियमावली पर सवाल उठने लगे हैं। यह भी एक विसंगति ही है कि विवाह का पंजीकरण स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग करता है, जबकि विवाह की नियमावली महिला एवं बाल विकास विभाग ने बनाई है। यह नियमावली उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली 2017 के नाम से जानी जाती है। यह नियमावली बनने से पहले प्रदेश में दो अलग-अलग नियमावली से विवाह पंजीकरण हो रहा था। पहला हिन्दू मैरेज एक्ट और दूसरा स्पेशल मैरेज एक्ट।
साल 2017 की नियमावली में अनिवार्य विवाह पंजीकरण का प्रावधान भी किया गया है। विवाह पंजीकरण अधिकारी का दायित्व स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के अधिकारी को ही दिया गया है। अधिसूचना में कहा गया है कि विवाह का पंजीकरण न होने से प्रभावित व्यक्ति खासकर महिलाएं साक्ष्य के अभाव के कारण अपने कानूनी अधिकार से वंचित रह जाती हैं। अनिवार्य विवाह पंजीकरण से राज्य में बाल विवाह भी रोका जा सकेगा।
आनलाइन प्रक्रिया में है यह प्रावधान
नियमावली में आनलाइन आवेदन की जिस प्रक्रिया में यह गड़बड़ी सामने आई है, वह ‘आधार’ आधारित है। इसमें यह प्रावधान है कि जहां विवाह के पक्षकारों के आधार कार्ड के साथ उनके मोबाइल नंबर जुड़े हैं, वहां पक्षकारों द्वारा दी गई सूचनाओं के संबंध में आधार कार्ड के सत्यापन के बाद विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र स्वत: ही आनलाइन जनरेट हो जाएगा, जिसका प्रिंटआउट आवेदक स्वयं ही प्राप्त कर सकेंगे।
बिहार में है यह व्यवस्था
स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार में विवाह पंजीकरण की व्यवस्था में ग्रामीण क्षेत्र के लिए ग्राम पंचायत प्रधान और शहरी क्षेत्र में सभासद को जवाबदेह बनाया गया है। अनिवार्य पंजीकरण में भी इन जन प्रतिनिधियों की जवाबदेही तय की गई है। इससे विवाह पंजीकरण में फर्जीवाड़े की संभावना कम हो जाती है।
शासन के संज्ञान में है मामला
उत्तर प्रदेश स्टाम्प एवं निबंधन अधिकारी संघ के अध्यक्ष वीके उपाध्याय ने बताया कि मोबाइल लिंक्ड आधार से जुड़ी आनलाइन विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया में सामने आई खामी से शासन को अवगत करा दिया गया है। इस तरह के पंजीकरण में विभाग की कोई भूमिका ही नहीं रह जाती है, जिससे फर्जीवाड़ा रोक पाना संभव नहीं हो पाता। शासन नियमावली में बदलाव पर विचार कर रहा है।