राष्ट्रीय / संयुक्त मोर्चा टीम
Modi government मोदी सरकार के जाते हुए दौर में कुछ परेशान करने वाली खबरें हैं. जनवरी महीने में औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट आई है, महंगाई दर भी थोड़ी बढ़ गई है, रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष के अंत तक जीडीपी में भी अनुमान से कम बढ़त होने के आसार जताए हैं.
देश के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है, महंगाई दर बढ़ी है और इस वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर अनुमान से कम रहने का अनुमान है. मोदी सरकार के अंतिम दौर में ये आंकड़े अच्छे नहीं कहे जा सकते. इससे इस बात के आसार भी बढ़ गए हैं कि रिजर्व बैंक आगे ब्याज दरों में एक और कटौती करे.
जनवरी में महंगाई की दर बढ़कर 2.57 फीसदी तक पहुंच गई है. इसके पिछले महीने में महंगाई दर 2.05 फीसदी थी. हालांकि यह अब भी रिजर्व बैंक के कम्फर्टबल रेंज 4 फीसदी के भीतर ही है. दूसरी तरफ, सीएसओ द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में भारी गिरावट आई है और यह महज 1.7 फीसदी रहा. पिछले साल इस अवधि में यानी जनवरी, 2018 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 7.5 फीसदी तक थी. दिसंबर 2018 में यह दर 2.6 फीसदी थी.
हालांकि अप्रैल से जनवरी तक के दस महीने में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 4.4 फीसदी रही जो इसके पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले बेहतर है. आईआईपी में सबसे बड़ा हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का होता है, इसमें भी जनवरी 2019 के दौरान 1.3 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि पिछले साल जनवरी महीने में इसमें 8.7 फीसदी की जबर्दस्त बढ़त हुई थी.
जीडीपी को जहां समूची अर्थव्यवस्था की गति का अनुमान लगता है, वहीं आईआईपी से यह पता चलता है कि औद्योगिक गतिविधि किस तरह की है. आईआईपी में कमी का मतलब है कि उद्योगों को अगले महीनों के लिए ऑर्डर कम आ रहे हैं यानी कुल मिलाकर जनता द्वारा उपभोग में भी कमी आ रही है. ट्रैक्टर जैसे ऑटो उत्पादों की ग्रामीण क्षेत्रों में मांग घटने को भी इसकी वजह माना जाता है.
और घट सकती हैं ब्याज दरें
महंगाई दर अभी भी रिजर्व बैंक के सुविधाजनक स्तर यानी 4 फीसदी के भीतर ही है. दूसरी तरफ, आईआईपी में गिरावट आई है. ऐसे में मांग को बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की एक और संभावना बन रही है. इसके पहले 7 फरवरी को रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती थी. रिजर्व बैंक 5 अप्रैल को अगले वित्त वर्ष के लिए मौद्रिक नीति की घोषण करेगा.
पीएमआई में बढ़त भी अच्छी खबर
हालांकि कई जानकारों का कहना है कि आईआईपी में भले ही गिरावट हो रही हो, लेकिन परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स (PMI) में अच्छी बढ़त देखी जा रही है. उनके मुताबिक पीएमआई को इंडस्ट्री का बेहतर सर्वे माना जाता है. फरवरी, 2019 का पीएमआई डेटा 54.3 है जिसका मतलब यह है कि जनवरी के बाद मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आ रही है.
जीडीपी में बढ़त भी अनुमान से कम
रिजर्व बैंक के हाल के एक विश्लेषण के मुताबिक सरकारी खर्च में कमी और आयात के बढ़ते जाने की वजह से जीडीपी में वृद्धि अनुमान से कम होगी. जुलाई-सितंबर की अवधि में जीडीपी में वृद्धि 7.1 फीसदी रही, जबकि इसकी पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 8.2 फीसदी था. यह पिछली तीन तिमाहियों की सबसे कम ग्रोथ रेट थी. रिजर्व बैंक के अनुसार इस वित्त वर्ष में जीडीपी में बढ़त 7 फीसदी ही होने का अनुमान है, जबकि पहले इसमें 7.4 फीसदी की बढ़त हुई थी.
कम हो रहा सरकारी खर्च
रिजर्व बैंक के मुताबिक फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे निवेश में बढ़त और निजी खपत में लगातार बढ़त हो रही है, लेकिन सरकारी खर्चों में कमी आई है. रिजर्व बैंक के पेपर के अनुसार इकोनॉमी में सर्विस सेक्टर का योगदान लगातार बढ़ रहा है और कृषि क्षेत्र का योगदान घट रहा है. इस वित्त वर्ष यानी साल 2018-19 में जीडीपी में सर्विस सेक्टर का योगदान करीब 62 फीसदी रहेगा, जबकि कृषि क्षेत्र का योगदान 14.3 फीसदी तक ही होगा.
जानकारों का कहना है कि वित्त वर्ष के अंत यानी मार्च तक सरकारी खर्च बढ़ जाते हैं. लेकिन इस बार वित्तीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार अपने खर्चों में कटौती कर रही है.
कच्चे तेल और मॉनसून पर रखनी होगी नजर
आगे अर्थव्यवस्था क्या मोड़ लेती है, इसके लिए कच्चे तेल की कीमतों और मॉनसून पर नजर रखनी होगी. अप्रैल में मॉनसून का पहला अनुमान आएगा. अभी कच्चे तेल की कीमतें चढ़ती दिख रही हैं. मानूसन अच्छा रहा तो पैदावार अच्छी होगी और आगे भी महंगाई रेंज में रह सकती है. इसके अलावा महंगाई पर कच्चे तेल की कीमतों का भी काफी असर पड़ेगा. ओपेक द्वारा आपूर्ति में कटौती और ईरान एवं वेनेजुएला पर अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ गईं. ब्रेंट क्रूड ऑयल फ्यूचर की कीमत बढ़त 66.85 बैरल प्रति डॉलर तक पहुंच गई.