Home राष्ट्रीय आरक्षण को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करेगी सरकार: जावेड़कर

आरक्षण को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करेगी सरकार: जावेड़कर

by vdarpan
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मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने 13 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली को लेकर चल रहे विरोध पर बुधवार को संसद में आश्वासन दिया कि उनकी सरकार विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय में जल्द ही पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।
शिक्षक नेताओं ने इस मुद्दे पर वर्तमान सत्र में विधेयक लाने या सत्र के बाद अध्यादेश लाने की मांग की है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गत दिनों सरकार की विशेष अनुमति याचिका ख़ारिज कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को उचित ठहराया जिसमें 200 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली को नामंजूर कर दिया और विभाग या कालेज को इकाई माना जिससे पिछड़े वर्ग, दलित और आदिवासी वर्ग के शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गयी है क्योंकि 13 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली से आरक्षित पदों में कटौती हो जायेगी।
श्री जावेडकर ने बुधवार को राज्यसभा में भोजनावकाश के विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच स्पष्टीकरण दिया कि उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका मंज़ूर न होने को देखते हुए उनकी सरकार जल्द ही पुनर्विचार याचिका अदालत में दायर करेगी।
समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल आदि दलों ने 200 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली लागू करने के लिए सदन में जबरदस्त हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित हो गयी।
श्री जावेडकर ने सदन के बाहर कहा कि उनकी सरकार दलितों, आदिवासियों तथा पिछड़े वर्ग को विश्वविद्यालयों तथा कालेजों में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण को बरक़रार रखना चाहती है। पहले विश्वविद्यालय को रोस्टर के लिए एक इकाई माना जाता था और वह सही पद्धति है। सरकार भी उसी पद्धति को मानती हैं लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरक्षण के लिए विभाग या कालेज को इकाई माना और उच्चतम न्यायलय ने उसे बरकरार रखा जिसे चुनौती देते हुए सरकार ने तत्काल उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की। इस बीच सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से कहा है कि जब तक याचिका पर फैसला नहीं आ जाता तब तक वह 13 अंक वाले रोस्टर को लागू नहीं करे।
उच्चतम न्यायालय के फैसले को देखते हुए सरकार फिर पूरे पक्ष को मजबूती से रखते हुए पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। मोदी सरकार शिक्षकों की नियुक्ति में पहले की तरह आरक्षण को जारी रखना चाहती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजीव रे ने कहा कि सरकार ने पहले वादा किया था कि वह इस मामले में अध्यादेश लायेगी इसलिए उनकी मांग है कि वह पहले इस मुद्दे पर एक विधेयक लाये अगर वह पारित नहीं हो तब वर्तमान सत्र के बाद वह अपने वादे के मुताबिक अध्यादेश लाये।
अकेडमिक्स फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट के प्रमुख आदित्य नारायण मिश्र ने कहा कि पुनर्विचार याचिका की जगह सरकार को सीधे संसद में एक विधेयक पारित करवाकर 200 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली के आधार पर आरक्षण लागू करना चाहिए। वह लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं और जितने तदर्थ शिक्षक हैं उनकी नौकरी स्थायी कर दी जानी चाहिए।

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