संयुक्त मोर्चा टीम। मुख्यालय
मांगलिक कार्य करने की सोच रहे लोगों के लिए यह खबर अत्यंत महत्वपूर्ण है। चूंकि देव उठने से सप्ताह भर पहले यानि 13 नवंबर को गुरु तारा अस्त हो रहा है। इसकी वजह से मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं बन पा रहा है। देवोत्थान यानि प्रबोधिनी एकादशी पर 19 नवंबर को इस बार देव उठेंगे।
इस दिन मंदिरों में तुलसी शालीग्राम का विवाह कराया जाएगा। इस दिन आमतौर पर देव उठान एकादशी से मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश हो जाता है। लेकिन इस बार ग्रह स्थिति के कारण देव उठनी 11 के बाद 58 दिन तक मांगलिक कार्यों के लिए शुभमुहूर्त नहीं है। देव उठनी एकादशी सालभर की एकादशी में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है। दरअसल भगवान विष्णु समेत अन्य देवी देवता चार महीने के लिए सो जाते हैं। इस एकादशी के दिन वो वापस जागते हैं। देव उठनी होने के बाद मुहूर्त खुल जाते हैं। शादी, विवाह, मुंडन समेत अन्य शुभ कार्य शुरू किये जाते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार विवाह, गृह आरंभ, गृह प्रवेश आदि के लिए दोषरहित शुभमुहूर्त का होना आवश्यक है। ऐसे श्रेष्ठ मुहूर्त नये साल 2019 में 17 जनवरी से शुरू होंगे। जुलाई तक सात माह में 45 श्रेष्ठ शुभमुहूर्त हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक मांगलिक कार्य करने में गुरु के तारे का उदय होना विशेष माना जाता है।
कल गुरु तारा हो रहा अस्त: देव उठने से करीब एक सप्ताह पहले यानि 13 नवंबर को गुरू का तारा अस्त हो रहा है। यही नहीं 16 नवंबर से वृश्चिक राशि में सूर्य, बुध, गुरू का त्रिगही युति संबंध बनेगा। यह युति 15 दिसम्बर तक रहेगा। सूर्य व गुरू का युति में साथ होना मुहूर्त का संक्रमण कहलाता है। ऐसे में मांगलिक कार्य करना उचित नहीं है। पंडित सूरज महराज जनवरी माह की 17, 18, 22, 23, 25, 26, 29 तारीख मांगलिक कार्य के लिए शुभ है। इसी तरह फरवरी में 8, 9, 10, 19, 21, मार्च में 8, 9, 10, अप्रैल में 15, 16, 17, 19, 20, 22, मई में 7, 12, 13, 14, 15, 17, 18, 19, 23, 28, 29, 30, जून की 8, 9, 10, 12, 15, 16, 24, 25 और जुलाई महीने की 7, 8, 10, 11 श्रेष्ठ बताते हैं।
वर्जित माने गये हैं मांगलिक कार्य : 15 दिसंबर से मलमास शुरू होगा। जो 14 जनवरी तक रहेगा। इसमें मांगलिक कार्य वर्जित माने गये हैं। इसके साथ ही 15 मार्च से मीन मलमास होगा। यह 14 अप्रैल तक रहेगा। इसमें भी मांगलिक कार्य करना उचित नहीं रहेगा। इसके साथ ही 13 नवंबर की मध्य रात्रि में गुरू का तारा अस्त होगा। इसके कारण मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं बन पाता है।