Home ब्रेकिंग न्यूज़ क्या लोकसभा के मझधार में वायनाड सीट बनेगी राहुल गांधी की ‘लाइफबोट’?

क्या लोकसभा के मझधार में वायनाड सीट बनेगी राहुल गांधी की ‘लाइफबोट’?

by vdarpan
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राष्ट्रीय / संयुक्त मोर्चा टीम 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूपी के अमेठी और केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने वाले हैं. अमेठी में राहुल गांधी की टक्कर सीधे तौर पर भाजपा की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से होगी. वहीं, वायनाड में कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट का सामना लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट से है. क्‍या वायनाड सीट राहुल के लिए लोकसभा चुनाव में लाइफबोट का काम करेगी?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूपी के अमेठी और केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने वाले हैं. अमेठी में राहुल गांधी की टक्कर सीधे तौर पर भाजपा की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से होगी. वहीं, वायनाड में कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का सामना लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) से है. दक्ष‍िण भारत में एलडीएफ अन्य दलों को कड़ी चुनौती देती है. कांग्रेस केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसने राहुल गांधी को वायनाड सीट से मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने राहुल की सीट को लेकर सेफ गेम खेला है. अगर अमेठी सीट हाथ से जाती है तो वायनाड सीट राहुल के लिए लाइफबोट का काम करेगी. हालांकि उधर, केरल के सीएम पी. विजयन ने कहा है क‍ि राहुल की लड़ाई लेफ्ट से है, न क‍ि भाजपा से.

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो लोकसभा चुनाव के लिए एलडीएफ के प्रचार और उम्मीदवारों पर स्पष्ट फैसला हो चुका है. वहीं, कांग्रेस ने इसमें कुछ देर कर दी. अब राहुल का नाम वायनाड से आने के बाद यूडीएफ भी एलडीएफ की तरह मजबूती से अपनी दावेदारी सामने रख सकेगी.

पार्टी की आंतरिक कलह खत्म

कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी को वायनाड सीट से खड़ा करना पार्टी के अंदर की कलह को खत्म करना था. केरल कांग्रेस के दो बड़े नेता रमेश चेन्नीथ्ला और ओमान चांडी के बीच वायनाड सीट को लेकर मतभेद था. तय नहीं हो पा रहा था कि वायनाड सीट से कौन उम्मीदवार हो. अब राहुल गांधी को मैदान में उतार कर इसका हल निकाला गया है.

दावा- उत्तर और दक्षिण भारत का अच्छा संबंध बनेगा

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वायनाड सीट से केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक तीनों राज्य जुड़ते हैं. राहुल गांधी तीनों राज्यों का चेहरा बनेंगे. इससे उत्तर और दक्षि‍ण भारत का अच्छा संबंध बनेगा. स्मृति पर तंज करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि उन्हें पहले चांदनी चौक से भगाया गया, फिर अमेठी से. इस बार उनकी हैट्रिक बनेगी. स्मृति ईरानी तीसरी बार हारने वाली हैं.

इंदिरा और सोनिया भी लड़ चुकीं हैं साउथ इंडिया से चुनाव

इंदिरा गांधी ने 1978 में कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट से लोकसभा उपचुनाव जीता था. वहीं, सोनिया ने 1999 में कर्नाटक की ही बेल्लारी सीट जीती थी. उन्होंने सुषमा स्वराज को हराया था.

अमेठी में स्मृति और वायनाड में लेफ्ट का डर

अमेठी सीट पर भाजपा नेता स्मृति ईरानी पिछले पांच सालों से काफी ऐक्टिव हैं. 2014 में राहुल से हारने के बाद क्षेत्र में मौजूद कमियों को लेकर राहुल गांधी पर निशाना साध रही हैं. वहीं, केरल में वर्तमान वामपंथी सरकार ने लोकसभा चुनाव को लेकर मजबूत तैयारी कर रखी है. इसी को देखते हुए राहुल को दो सीटों से चुनाव लड़ाने का फैसला कांग्रेस ने लिया.

वायनाड का राजनीतिक इतिहास

2008 में परिसीमन के बाद वायनाड लोकसभा सीट बनी. यहां 2009 में पहली बार चुनाव हुए. कांग्रेस के एमआई शनावास ने सीपीआई कैंडिडेट एडवोकेट एम. रहमतुल्ला को हराया था। 2014 में भी शनावास ही जीते. उन्होंने सीपीआई के पीआर सत्यन मुकरी को हराया था. वायनाड सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है.

मोदी चेहरा नहीं पर सबरीमला से भाजपा को फायदा संभव

प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी केरल में लोकप्रिय चेहरा नहीं हैं. पर सबरीमला मामले को लेकर भाजपा को यहां फायदा मिलने की उम्मीद है. लेकिन इसका असर भी दक्षिणी ज़िलों की चुनिंदा सीटों पर ही है. सबरीमला मामले पर यूडीएफ ने यू-टर्न ले लिया था. यहां की 30 फीसदी सीटों पर मुसलमान और ईसाई ज्यादा हैं.

केरल के लोग केंद्र में कांग्रेस और राज्य में स्थानीय सरकार चाहते हैं

केरल में वहां के लोग यह मानते हैं कांग्रेस को केंद्र की सत्ता चलानी चाहिए. लेकिन विधानसभा चुनाव में एलडीएफ और यूडीएफ को बारी-बारी से सत्ता में लाते रहते हैं. वहीं, स्थानीय निकाय चुनावों में तो लोग सिर्फ सीपीएम को चुनते हैं.

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