राष्ट्रीय / संयुक्त मोर्चा टीम
राहुल गांधी ने एक ऐसी स्कीम का ऐलान किया है जिसके जरिए देश के करीब 5 करोड़ परिवारों को हर साल 72,000 रुपये की मदद कर न्यूतनत आय की गारंटी मिलेगी.
लोकसभा चुनाव की वोटिंग से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वोटर्स को लुभाने के लिए एक बड़ा दांव खेला है. दरअसल, राहुल गांधी ने ”न्याय स्कीम” का ऐलान किया है जिसके जरिए देश के करीब 5 करोड़ परिवारों को हर साल 72,000 रुपये की मदद कर न्यूनतम आय की गारंटी दी जाएगी. एक अनुमान के मुताबिक राहुल गांधी की इस योजना पर 3.6 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे. यह रकम बहुत बड़ी है, इससे कई बड़ी समस्याओं का समाधान निकल सकता है. आइए आज हम आपको बताते हैं कि इस रकम से भारत में क्या-क्या किया जा सकता है या कौन सी समस्याएं दूर हो सकती थीं.
3.6 लाख करोड़ होता तो किसानों को मिलते 30 हजार रुपये
मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में पीएम किसान योजना का ऐलान किया. पीएम किसान योजना के लिए बजट में 75000 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है. इस योजना के तहत देश के 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों को 3 किस्तों में सालाना 6 हजार रुपये दिया जा रहा है. अगर राहुल गांधी की न्याय स्कीम के 3.6 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित बजट की तुलना करें तो पीएम किसान योजना के बजट से 5 गुना ज्यादा है. ऐसे में कहा जा सकता है कि 12 करोड़ किसानों को सालाना 6 हजार के मुकाबले 5 गुना ज्यादा 30 हजार रुपये मिल सकते हैं.
3.6 लाख करोड़ होता तो जापान से कर्ज की नहीं होती जरूरत
साल 2022 से पहले जापान की मदद से मुंबई से अहमदाबाद के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन चलेगी. यह ट्रेन 508 किमी का फासला 3 घंटे में तय करेगी. बुलेट ट्रेन के इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 1.10 लाख करोड़ रुपये की है. अगर राहुल गांधी की न्याय स्कीम की 3.6 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित बजट से तुलना करें तो इस रकम से भारत सरकार 500 किलोमीटर की दूरी के करीब 3 लाइन पर बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट का विस्तार कर सकती है. इसके साथ ही भारत सरकार को जापान से कर्ज लेने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. बता दें कि 88 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया है. यह कर्ज 0.1% के ब्याज दर पर है, जिसे 50 साल में चुकाना पड़ेगा.
3.6 लाख करोड़ होता तो खत्म हो जाता RBI-सरकार विवाद
बीते साल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और भारत सरकार के बीच विवाद ने खूब सुर्खियां बटोरीं. इस पूरे विवाद की एक बहुत बड़ी वजह 3.6 लाख करोड़ रुपये की रकम को बताई गई. दरअसल, मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि सरकार 3.6 लाख करोड़ का फंड मांग रही है जो आरबीआई देने के पक्ष में नहीं है. राहुल गांधी के न्याय स्कीम की अनुमानित बजट भी 3.6 लाख करोड़ रुपये की है.
3.6 लाख करोड़ होता तो अर्धसैनिक बलों को मिलती पुरानी पेंशन
बीते कई सालों से देश भर में अर्धसैनिक बलों को पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन देने की मांग हो रही है. इसको लेकर देशभर के अर्धसैनिक बलों से जुड़े संगठन समय-समय पर प्रदर्शन करते रहते हैं. अगर राहुल गांधी की न्याय स्कीम के बजट से तुलना करें तो देश के अर्धसैनिक बलों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू हो सकती है. बता दें कि साल 2017-18 के दौरान पेंशन देने पर कुल 1,56,641.29 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. इसके अलावा राहुल गांधी की स्कीम की मदद से रिटार्यट सेना के लिए दी जाने वाली वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) योजना के बजट को भी बढ़ाया जा सकता है क्योंकि वन रैंक, वन पेंशन के तहत सरकार ने अब तक रिटायर्ड सैनिकों को 35 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं.
3.6 लाख करोड़ होता तो दोगुना हो जाता डिफेंस बजट
पाकिस्तान और चीन से तनाव के हालात में भी वर्तमान में भारत डिफेंस सेक्टर पर 3 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रहा है. अगर राहुल गांधी की न्याय स्कीम की अनुमानित बजट को आवंटित किया जाए तो डिफेंस सेक्टर का बजट दोगुना हो सकता है. इसके साथ ही भारत रक्षा क्षेत्र में अधिक मजबूत हो जाएगा. बता दें कि दुनिया भर के देशों की ओर से रक्षा बजट पर खर्च की जाने वाली राशि में 36 फीसदी हिस्सा अमेरिका का है जबकि चीन का 13 फीसदी है. वर्तमान में भारत से आगे अमेरिका, चीन, रूस और सऊदी अरब हैं.