राष्ट्रीय / संयुक्त मोर्चा टीम
राफेल मामले को लेकर रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. हलफनामे में कहा गया है कि अखबारों और सोशल मीडिया पर साजिशन जो गोपनीय जानकारी और दस्तावेज डाले गए हैं उससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है.
राफेल मामले को लेकर रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. हलफनामे में कहा गया है कि अखबारों और सोशल मीडिया पर साजिशन जो गोपनीय जानकारी और दस्तावेज डाले गए हैं उससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. सोशल मीडिया के जरिए ये जानकारी हमारे दुश्मन देशों को भी सहज उपलब्ध है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सरकार ने ऐसे लोगों पर क्या कार्रवाई की. बता दें कि राफेल मामले की सुनवाई गुरुवार को दोपहर तीन बजे होगी.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं ने रक्षा मंत्रालय से रक्षा सौदे से जुड़ी गोपनीय फाइलों की फोटो कॉपी कराई या चोरी की. ये कृत्य सौदे के प्रावधानों व गोपनीयता के वादों और शर्तों का उल्लंघन और अपराध भी है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से पूछा था कि क्या रक्षा मंत्रालय राफेल के चोरी हुए दस्तावेज पर यह हलफनामा दे सकता है कि जो दस्तावेज न्यूज पेपर और न्यूज एजेंसी ने इस्तेमाल किए हैं, वो चोरी किए गए हैं. इस पर के. के. वेणुगोपाल ने सहमति जताते हुए हलफनामा पेश करने की बात कही थी. बुधवार को सरकार ने हलफनामा पेश कर दिया.
‘रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए डॉक्युमेंट’
बता दें कि के. के. वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि जिन गोपनीय कागजों को अखबार ने छापा है उसको लेकर कार्रवाई होनी चाहिए. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कुछ डॉक्युमेंट को रक्षा मंत्रालय से चोरी किया गया और आगे बढ़ाए गए. उन्होंने कहा अखबार ने कुछ गोपनीय जानकारी सार्वजनिक कर दी है.
इस पूरे मामले को लेकर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने के. के. वेणुगोपाल से पूछा कि अगर आपको लगता है कि राफेल के कागज चोरी हुए हैं और अखबारों ने चोरी किए हुए कागजों पर लेख लिखे हैं तो सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2018 को राफेल की खरीद को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज करने का आदेश दिया था. इसको चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं. इस पर सुनवाई के दौरान के. के. वेणुगोपाल ने बताया कि लड़ाकू विमानों की खरीद से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए हैं और इसकी जांच जारी है.