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भारत की इन 10 जगहों पर अनोखे अंदाज में मनाई जाती है होली

by vdarpan
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राष्ट्रीय / संयुक्त मोर्चा टीम

होली रंगो का त्योहार है. होली का त्योहार आने में कुछ ही समय बाकी है. ऐसे में लोगों ने होली की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. भारत देश में होली का त्योहार बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. साथ ही भारत के अलग-अलग शहरों में होली का त्योहार अलग तरीके से मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं वो 10 जगह जहां आप होली का लुफ्त भी उठा सकते हैं और वहां की मान्यताओं के बारे में समझ सकते हैं-

बांके बिहारी मंदिर-
वृंदावन और होली का तो बहुत पुराना नाता है. जैसी होली यहां खेली जाती है वैसी आपको कहीं और देखने को मिल ही नहीं सकती. कथाओें में ऐसा वर्णन किया गया है कि स्वयं भगवान कृष्ण इस मंदिर में सफेद पोशाक में आए थे और उन्होंने वहां से अपने सभी भक्तों के ऊपर गुलाल और फूलों की वर्षा की थी. इसी प्रथा को आगे बढ़ाते हुए बांके बिहारी के पुजारी मंदिर में आए सभी श्रद्धालुओं पर पुष्प और गुलाल फेंकते हैं. होली के समय मंदिर का माहौल ऐसा हो जाता है कि वहां आए श्रद्धालु भी किसी दूसरे लोक में पहुंच जाते हैं और बस कृष्ण के भजन गुनगुनाते रहते हैं. सिर्फ यहीं नहीं , जब हजारों की तादाद में लोग वहां गानों की धुन पर थिरकते हैं, तो वहां का माहौल अविस्मरणीय हो जाता है.

बरसाना- बरसाना की लट्ठमार होली सबसे प्रचलित है. आपने इस प्रकार की होली कई सारी फिल्मों में देखी होगी. लेकिन जो आनंद वहां जाकर मिलता है वो किसी और तरीके से मिल ही नहीं सकता. बता दें, लट्ठमार होली बरसाना और नंदगांव में खेली जाती है. ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण, राधा के साथ होली खेलने के लिए बरसाना आएं थे. वो अपने साथ अपनी पूरी पलटन भी लेकर आएं थे. तभी से ये प्रचलन बन गया कि नंदगांव के पुरुष कृष्ण बनके बरसाना आते हैं और वहां महिलाएं राधा के रूप में उनका इंतजार करती हैं. फिर प्रथा अनुसार वो महिलाएं पुरुषों पर लट्ठ बरसाती हैं. इसलिए इसे लट्ठमार होली कहते हैं. इस प्रकार की अनोखी होली का हिस्सा बनने का अलग ही मजा और अनुभव होता है.

पंजाब- पंजाब में होला मोहल्ला नाम का त्योहार बहुत प्रचलित है. दूर-दूर से इसे देखने के लिए लोग आते हैं. बता दें, होला मोहल्ला का आयोजन पंजाब के आनंदपुर साहिब में हर साल किया जाता है. ये त्योहार पारंपरिक होली से अलग इसलिए है, क्योंकि यहां रंगों से नहीं बल्कि, तलवार बाजी, घुड़ सवारी और मार्शल आर्ट के माध्यम से होली का त्योहार मनाया जाता है. सिर्फ यही नहीं, इस कार्यक्रम के बाद जगह-जगह विशाल लंगर लगाए जाते हैं और सभी को स्वादिष्ट हलवा, पूरी, गुजिया और मालपुआ परोसा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि होला मोहल्ला की शुरुआत सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने की थी. आज काफी सालों से इस त्योहार को पूरे 6 दिन तक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

हंपी- वैसे तो दक्षिण भारत में होली का त्योहार ज्यादा धूम धाम से नहीं मनाया जाता है. लेकिन हंपी में इस त्योहार की धूम हर साल देखी जाती है. ढेर सारे रंग, पानी और साथ में तेज आवाज मे गानें हंपी में होली को बेहतरीन बनाते हैं. वैसे यहां काफी सारे विदेशी पर्यटक भी घूमने आते हैं.

उदयपुर- उदयपुर की होली बड़े ही शाही अंदाज में मनाई जाती है. दो दिन तक चलने वाले इस त्योहार में मेवाड़ के राजा सभी अतिथियों का स्वागत करते हैं और उन्हें रॉयल सिटी पैलेस लेकर जाते हैं. पहले दिन बॉनफॉयर के माध्यम से होलिका दहन किया जाता है. उदयपुर की इस शाही होली की खासियत यह है कि यहां आपको राजस्थान की पूरी सभ्यता और परंपरा देखने को मिल जाएगी. सभी लोग राजस्थानी कपड़े पहने होते हैं और उनके परंपरिक लोकगीत की धुन पर नांचते हैं. वहां आए सभी अतिथियों को शाही भोज भी करवाया जाता है और उसके बाद खूब सारी आतिशबाजी होती है.

गोवा- गोवा में होली खेलने का मतलब है खूब सारी मस्ती और धमाल. गोवा में पांच दिन तक शिगमो-उत्सव चलता है जहां विभिन्न प्रकार की परेड निकाली जाती हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस उत्सव के आखिरी दिन गोवा के सभी बीचों को रंगों से सजाया जाता है और वहां हजारों की संख्या में लोग गुलाल से होली खेलते हैं. शिगमो-उत्सव गोवा के पंजिम, वास्को और मडगांव में आयोजित किया जाता है.

मणिपुर- मणिपुर में होली मनाने का तरीका काफी अलग है. पांच दिन चलने वाले इस त्योहार को याओसांग फेस्टिवल कहा जाता है. इन पांच दिनों में कई सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और बॉनफायर भी जलाया जाता है. इस त्योहार को मनाते समय वहां के स्थानीय लोग एक कुटिया को जलाते हैं और उसके बाद सभी बच्चे घर-घर जाकर चंदा इकट्ठा करते हैं. दूसरे दिन वहां मंदिरों में बैंड का आयोजन किया जाता है और सभी जमकर नांचते हैं. आखिरी दो दिन पानी और रंगों वाली होली खेली जाती है.

पुरुलिया- पश्चिम बंगाल में स्थित पुरुलिया में होली का त्योहार  होली से एक दिन पहले मनाया जाता है. बंगाल की सभ्यता की झलक यहां के पारंपरिक नृत्य में देखने को मिलती है. होली के मौके पर छाउ डांस, दरबारी झूमर डांस किया जाता है और वहां के मशहूर म्यूजिशियन खूबसूरत गाने गाते हैं और एक यादगार समा बांधते हैं. बता दें, पुरुलिया में यह त्योहार तीन दिनों तक मनाया जाता है और लोग दूर-दूर से इसका हिस्सा बनने आते हैं.

दिल्ली– दिल्ली की होली तो सबसे मशहूर और चर्चित है. यहां बहुत धूम-धाम से होली खेली जाती है. होली के मौके पर दिल्ली में रंगों और पानी का मिलन देखते ही बनता है. दिल्ली में होली के अवसर पर कई इवेंट ऑर्गेनाइज किए जाते हैं, जहां सभी बड़े सिंगर आते हैं और आपके होली के अनुभव को यादगार बना देते हैं.

महाराष्ट्र– महाराष्ट्र में होली बड़े ही नायाब अंदाज में मनाई जाती है. यहां ज्यादातर सूखे रंगो का प्रयोग किया जाता है और व्यंजन में पूरन पोली परोसी जाती है. चावल, आटा, और पापड़ को तलकर भी खाया जाता है. बता दें, धुलेंडी के बाद रंगों से खेलने की परंपरा है.


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