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क्या AK-203 से अमेठी में राहुल का दुर्ग भेद पाएगी BJP?

by vdarpan
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राष्ट्रीय / संयुक्त मोर्चा टीम

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके ही दुर्ग अमेठी में बीजेपी घेरने की कवायद में जुटी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अमेठी को कई सौगातें दीं. इस दौरान पीएम ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की नई इकाई की आधारशिला रखी, जहां AK-203 मॉर्डन राइफल बनाए जाएंगे. इसे बीजेपी का कांग्रेस अध्यक्ष को उनके ‘घर’ में घेरने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

उत्तर प्रदेश का अमेठी कांग्रेस का मजबूत दुर्ग माना जाता है. बीजेपी मोदी लहर में भी कांग्रेस के इस किले को भेद नहीं पाई थी. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी में घेरने की कवायद बीजेपी पिछले पांच साल से लगातार कर रही हैं. इस कड़ी में प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी रविवार को गांधी परिवार के सियासी गढ़ अमेठी पहुंचे. उन्होंने मुंशीगंज की इंडो-रूस की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की नई इकाई की आधारशिला रखी, जहां AK-203 मॉर्डन राइफल बनाई जाएंगी. इसे बीजेपी का कांग्रेस अध्यक्ष को उनके ‘घर’ में घेरने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

दरअसल अमेठी की सियासी मिट्टी ऐसी है, जो सिर्फ कांग्रेस के बीज को पहचानती है. इसलिए चुनाव के मौसम में जब गांधी परिवार का बीज डाल दिया जाता है तो विपक्षी दलों की सारी फसल नष्ट हो जाती. 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के सामने बीजेपी ने स्मृति ईरानी और AAP ने कुमार विश्वास को मैदान में उतारा था. मोदी लहर पर सवार होने के बावजूद बीजेपी अमेठी में कमल खिलाने से महरूम रह गई थी. इसके बाद भी बीजेपी ने स्मृति ईरानी को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया.

अमेठी कांग्रेस का गढ़

अमेठी 1967 में लोकसभा सीट बनी. तब से यहां हुए 15 आम चुनाव और उप चुनाव हुए हैं, जिनमें से 13 बार कांग्रेस जीती है और 9 बार गांधी परिवार के सदस्य यहां से सांसद हैं. 1977 में लोकदल और 1998 में बीजेपी को जीत मिली है. बीजेपी से जीतने वाले संजय सिंह अब कांग्रेस खेमे में हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी संसदीय सीट से तीसरी बार सांसद हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में करीब पौने चार लाख के मार्जिन से जीतने वाले राहुल 2014 में स्‍मृति ईरानी से करीब 1 लाख वोट से ही जीत सके थे. बीजेपी महज एक बार ही इस सीट पर चुनाव जीत चुकी है.

2014 के बाद से ही बीजेपी स्मृति ईरानी के जरिए राहुल गांधी उनके ही दुर्ग में मात देने की रणनीति पर काम कर रही है. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी स्मृति ईरानी अमेठी में सक्रिय हैं. ईरानी लगातार अमेठी का दौरा कर रही हैं. इतना ही नहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई दिग्गज अमेठी का दौरा कर चुके हैं. हालांकि अमेठी के सियासी और राजनीतिक समीकरण ऐसे हैं, जहां राहुल गांधी को मात देना आसान नहीं है.

विपक्ष का हाथ राहुल के साथ

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने भले ही कांग्रेस के साथ गठबंधन न किया हो, लेकिन अमेठी में वो राहुल गांधी के साथ हैं. यहां सपा-बसपा गठबंधन ने कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ उम्मीदवार न उतारने का फैसला किया है. इससे राहुल गांधी की राह का आसान कर दिया है. मौजूदा समय में अमेठी लोकसभा क्षेत्र में सपा का एक विधायक है. इसके अलावा सपा-बसपा का अपना वोटबैंक भी है. ऐसे में राहुल गांधी के किले को भेद पाना बीजेपी के लिए आसान नजर नहीं आ रहा है.

जातीय समीकरण कांग्रेस के पक्ष में

अमेठी लोकसभा सीट पर दलित और मुस्लिम मतदाता किंगमेकर की भूमिका हैं. इस सीट पर मुस्लिम मतदाता करीब 4 लाख के करीब हैं और तकरीबन साढ़े तीन लाख दलित वोटर हैं. इसके अलावा ढाई लाख के करीब यादव, पौने दो लाख राजपूत और ढेड़ लाख के करीब ब्राह्मण वोटर हैं. इसके अलावा ओबीसी में कुर्मी, मल्लाह और लोध मतदाता भी अच्छे खासे हैं.

कांग्रेस को सपा-बसपा के समर्थन से दलित, यादव और मुस्लिम वोट राहुल गांधी के साथ एकमुश्त जाने की संभावना है. इसके अलावा ब्राह्मण कांग्रेस का परंपरागत वोटर हैं. राजपूत मतदाताओं को साधने के लिए राहुल गांधी ने डॉ. संजय सिंह और एमएलसी दीपक सिंह को लगा रखा है. ऐसे जातीय समीकरण भी राहुल के पक्ष में नजर आ रहा है.

विधानसभा और आम चुनाव में अंतर

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वोटिंग ट्रेंड में काफी अंतर रहता है. 2017 के विधानसभा में भले ही बीजेपी अमेठी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से चार जीतने में सफल रही थी. एक सीट सपा को मिली है. विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस का अमेठी में खाता न खुला हो. लेकिन लोकसभा चुनाव में क्या ऐसे ही नतीजे रहेंगे ये कहना मुश्किल है.

बीजेपी को कमल खिलाने की उम्मीद

राहुल के गढ़ में बीजेपी 2019 में चुनावी फसल लहलहाने की हर संभव कोशिश में जुटी है. 2014 के चुनाव हारने के बाद भी केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी लगभग हर महीने अमेठी आ रही हैं और केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं के सहारे विकास के कामों को आगे बढ़ा रही हैं. बीजेपी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के इस किले को भेदने की कवायद में इस संसदीय क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों को भुनाने की कोशिश में जुटी है.

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