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मायावती के जन्म दिन के अवसर पर मायावती के साथ नज़र आये अखिलेश

by vdarpan
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राष्ट्रीय / संयुक्त मोर्चा टीम

Mayawati birthday celebrations  बसपा अध्यक्ष मायावती का 63वां जन्मदिवस मंगलवार को मनाया गया. मायावती ने लखनऊ पार्टी कार्यालय में 63 किलो का केट काटा. इसके अलावा हर साल की तरह इस बार भी ब्लू बुक का विमोचन करा. इसके बाद दिल्ली में सहयोगी दलों के नेताओं के साथ मुलाकात का कार्यक्रम हुआ.

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती का मंगलवार को 63वां जन्मदिन है. यूपी में सपा-बसपा गठबंधन के ऐलान के बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव मायावती को जन्मदिन पर शुभकामना देने पहुंचे. दो दिन पहले ही दोनों दलों ने कांग्रेस को छोड़कर गठबंधन का ऐलान किया है. इससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मायावती ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव से पहले मेरा जन्मदिन मनाया जा रहा है. इसके लिए हमारी पार्टी ने सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सपा के साथ हमारे गठबंधन ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है. मायावती ने कहा कि सपा और बीएसपी के लोग अपने गिल-शिकवे और स्वार्थ भुलाकर गठबंधन के सभी उम्मीदवारों को भारी बहुमत से जीत दिलाएं, क्योंकि यही मेरे जन्मदिन का तोहफा होगा.

मायावती ने कहा कि 70 साल में ज्यादातर वक्त कांग्रेस और बीजेपी ने ही राज किया है लेकिन इन सरकारों में अल्पसंख्यकों और दलितों का विकास नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि किसान, अल्पसंख्यकों और दलित समाज ने बीजेपी को तीन राज्यों में हराकर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है, साथ ही कांग्रेस पार्टी एंड कंपनी को भी इससे सबक लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जुमनेबाजी करने वाली किसी भी पार्टी की दाल ज्यादा दिन गलने वाली नहीं है, यही वजह है कि कांग्रेस की तीन नई सरकारों पर उंगली उठना शुरू भी हो गई है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने सबसे बड़े राज्य में गठबंधन किया है और यहां जीतने वाला ही केंद्र में सरकार बना सकता है.

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि कर्ज लेने वाले किसानों का थोड़ा सा कर्ज माफ करने से उन्हें राहत मिलने वाली नहीं है. उन्होंने कहा कि कर्जदार किसानों की मुश्किलें अगर खत्म नहीं हुईं तो उनकी आत्महत्याएं बंद नहीं हो पाएंगी. उन्होंने कहा कि रक्षा सौदे के मामले में पारदर्शी नीति तैयार होनी चाहिए ताकि जनता का भरोसा बरकरार रहे. बीजेपी और आरएसएस जैसे जातिवादी संगठनों ने धर्म के नाम पर राजनीति करते हुए इंसानों के बाद देवी-देवाताओं को भी जाति के नाम पर बांटने का काम किया है.

मायावती ने कहा कि बीजेपी और इनकी केंद्र सरकार चुनाव के वक्त नई-नई योजनाओं का एलान कर रही है लेकिन जनता अब इनके बहकावे में आने वाली नहीं है, हमें इसकी पूरी उम्मीद बनी हुई है. उन्होंने कहा कि साल 2019 का साल सभी वर्गों और धर्मों के साथ-साथ, गरीब, मजदूरों और किसानों के लिए उम्मीद ला रहा है कि लोकसभा चुनाव में किसान विरोधी, धन्नासेठों कि हितैषी पार्टियों का राज खत्म होगा. उन्होंने कहा यूपी समेत देशभर में बीएसपी के साथ हुए गठबंधन को ही विजयी बनाएं इससे जातिवादी और पूंजीवादी सरकारों से मुक्ति मिल सकती है.

कुछ महीनों के बाद लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं, इसकी वजह से बसपा सुप्रीमो के जन्मदिन पर सभी की निगाहें हैं. हर जन्मदिन की तरह इस बार भी मायावती लखनऊ में अपनी ब्लू बुक का विमोचन करेंगी. जबकि सहयोगी दल के नेता उनसे दिल्ली में मुलाकात कर जन्मदिन की बधाई देंगे. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मायावती को बधाई देने उनके आवास पहुंचेंगे.

23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलकर सपा-बसपा ने तीन दिन पहले दोस्ती का हाथ मिलाया है और दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन का ऐलान कर दिया है. अखिलेश यादव और मायावती के बीच हुई दोस्ती भी पोस्टर और बैनरों में नजर आने लगी है. मायावती के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देने के लिए लखनऊ में बसपा कार्यालय के बाहर बैनर और पोस्टर लगाए गए हैं. दिलचस्प बात ये है कि बसपा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ सपा कार्यकर्ताओं ने भी मायावती के जन्मदिन पर बधाई के पोस्टर लगाए हैं.

बता दें कि पिछले कई सालों से मायावती का जन्मदिन हर साल ‘जन कल्याणकारी दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है. इस बार भी सूबे भर के सभी जिलों में बसपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी गरीबों को कपड़े, भोजन और अन्य जरूरी सामान बांटकर जन्मदिवस मनाएंगी.

वहीं, लखनऊ में बसपा मुख्यालय में जन्मदिवस मनाया जाएगा, यहां मायावती 63 किलो का केक काटेंगी. बसपा अध्यक्ष के भाषण को सूबे के सभी जिला मुख्यालय में प्रसारण किया जाएगा. इसके बाद वो लखनऊ से दिल्ली के लिए जाएंगी, जहां सहयोगी दलों के नेता उनसे मुलाकात करेंगे और जन्मदिन की बधाई देंगे.

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. लेकिन ये सीटें कौन सी होंगी, यह अभी तय नहीं हैं. माना जा रहा है कि मायावती जन्मदिन के मौके पर इस बात का ऐलान कर सकती हैं कि उनकी पार्टी किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं.

गौरतलब है कि बसपा ने कई राज्यों के क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर रखा गया है. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में मायावती के जन्मदिन समारोह में बसपा के सहयोगी दलों- इंडियन नेशनल लोकदल, सपा, आरजेडी, टीएमसी, छत्तीसगढ़ कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों को न्योता दिया गया है.

हालांकि, सपा-बसपा ने सूबे में कांग्रेस को अपने गठबंधन से अलग रखा है. सपा-बसपा दोनों पार्टियों ने सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इसके अलावा 2 सीटें छोटे सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई है. इसके अलावा अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के खिलाफ सपा-बसपा गठबंधन अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया गया है.

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